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होली रंग वाली आज खेली जाएगी होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो गया. अब रंग वाली होली खेली जाएगी. आज ही चंद्र ग्रहण भी लगेगा. देश भर में विधि पूर्वक और परंपरा के अनुसार होली जलाई गई. होली का पर्व विश्व प्रसिद्ध है. सभी धर्मों के लोग भी इस पर्व पर एक दूसरे को गले लगाकर होली की बधाई देते है.
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भद्रा भूमि लोक में है अभी होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 के मध्य होगा. इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा. इसकी वजह उस दिन भद्रा प्रातः 10:36 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:27 तक भूमि लोक की रहेगी.
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होली आज रात में जलेगी होलिका दहन आज ही करना बेहतर है. शास्त्रीय मत भी है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए. 13 मार्च को होलिका दहन भद्रा के बाद होगा. भद्रा 13 मार्च को सुबह 10:36 से रात्रि 11:27 बजे तक रहेगी. ऐसे में रात 11:28 से लेकर 12:15 बजे के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा.
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होलिका दहन की रात का महत्त्व होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए. होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए. नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. इस दिन को भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए.
होलिका दहन की रात भी महारात्रि की श्रेणी में आती है. होलिका दहन की रात को भी दीपावली और शिव रात्रि की भांति ही महारात्रि की श्रेणी में शामिल किया गया है. होलिका की राख को मस्तक पर लगाने का भी विधान है. ऐसा करने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं. इस रात मंत्र जाप करने से वे मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है. जीवन सुखमय बनता है, जीवन में आने वाली सभी परेशानियों का अपने आप निराकरण हो जाता है.
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होलिका दहन कैसे करें होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य दें. शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं. आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है.
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Bhadra Time: भद्रा कब समाप्त हो रही है पंचांग अनुसार होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 के मध्य होगा. इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा. इसकी वजह उस दिन भद्रा प्रातः 10:36 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:27 तक भूमि लोक की रहेगी. जो की सर्वथा त्याज्य है.
होली तिथि (Holi 2025)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 मार्च को दोपहर 12:15 बजे
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होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग पंचांग के अनुसार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है. वहीं होली के दिन यानी 14 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा. ऐसे में पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं.
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होली के बाद कैसी रहेगी बाजार की स्थिति, पंडित जी ने कर दी ये भविष्यवाणी होली के बाद से दीपावली तक तेजी का माहौल बना रहेगा. लेकिन बिजनेस करने वालों के लिए अच्छी स्थितियां बनेंगे और फायदे वाला समय रहेगा. विदेशी निवेश में भी वृद्धि होने के योग हैं. ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास बताते हैं कि मंदी खत्म होगी. देश में बीमारियों का संक्रमण कम होने लगेगा उद्योग बढ़ेंगे. रियल एस्टेट से जुड़े लोगों को अच्छा समय शुरू होगा. महंगाई पर नियंत्रण बना रहेगा.
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होलिका दहन में भद्रा ने डाल दिया अड़ंगा, शाम में नहीं अब रात में जलेगी होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली इस बार 14 मार्च को मनेगा. इससे एक दिन पहले 13 तारीख को होली जलाई जाएगी. इस बार भद्रा दोष रहेगा इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन हो सकेगा. पंचांग के अनुसार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है. वहीं होली के दिन यानी 14 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा. ऐसे में पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं.
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होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं हिंदू धर्म में होली का त्योहार दो दिवसीय होता है. इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पुराणों में होलिका दहन और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि मां लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
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उत्तर- दक्षिण दिशा की तरफ होलिका दहन की लपटें उठें तो क्या होता है? होलिका दहन के वक्त आग उत्तर दिशा की ओर होती है तो देश और समाज में सुख-शांति बढ़ती है. इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है. चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और व्यापार में उन्नति होती है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास की मानें तो इस दिशा में होलिका दहन की आग का झुकना अशुभ माना गया है. दक्षिण दिशा में होलिका की लौ होने से झगड़े और विवाद बढ़ने की आशंका रहती है. युद्ध-अशांति की स्थिति भी बनती है. इस दिशा में यम का प्रभाव होने से रोग और दुर्घटना बढ़ने का अंदेशा भी रहता है.
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पश्चिम दिशा तरफ होलिका दहन की आग दिखे तो होता ये लाभ भविष्यवक्ता डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि होली की आग पश्चिम की ओर उठे तो पशुधन को लाभ होता है. आर्थिक प्रगति होती है, लेकिन धीरे-धीरे. थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी रहती है, लेकिन कोई बड़ी हानि नहीं होती है. इस दौरान चुनौतियां बढ़ती हैं लेकिन सफलता भी मिलती है.
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पूर्व दिशा की तरफ जाए होलिका दहन की आग तो क्या होता है? होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर झूके तो इसे बहुत शुभ माना गया है. इससे शिक्षा-अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलता है. रोजगार की संभावना बढ़ती है. लोगों की सेहत में सुधार होता है. मान-सम्मान में भी बढ़ता है.
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होलिका दहन की आग अगर ऊपर उठे तो क्या होता है? डॉक्टर अनीष व्यास बताते हैं कि होलिका दहन के समय आग की लौ अगर सीधे हो, आसमान की तरफ उठे तो अगली होली तक सब कुछ अच्छा होता है. खासतौर से सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े सकारात्मक बदलाव होते हैं. बड़ी जन हानि या प्राकृतिक आपदा की आशंका भी कम रहती है. पूजा-पाठ और दान से परेशानियां खत्म होंगी.
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होलिका दहन, हवा की दिशा से तय होता है कैसा होगा धंधा-रोजगार ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास की मानें तो होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होता है कि अगली होली तक का समय सेहत, रोजगार, शिक्षा, बिजनेस, कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए कैसा होगा. होलिका जलने पर जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे आने वाले समय का भविष्य जाना जाता है. होलिका दहन की आग सीधी ऊपर उठे तो उसे बहुत शुभ माना गया है. वहीं, दक्षिण दिशा की ओर झुकी होलिका की आग को देश में बीमारियां और दुर्घटनाओं का संकेत देने वाला माना जाता है.
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फाल्गुन पूर्णिमा, चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व पूर्णिमा पर बन रहे सितारों के शुभ संयोग में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व रहेगा. फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से रोग नाश होता है. इस त्योहार पर पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, मौली, अष्टगंध, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर चंद्रमा को धूप-दीप दर्शन करवाकर आरती करनी चाहिए. इस तरह से चंद्र पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं. 13 मार्च की रात को बनने वाले शुभ संयोग का लाभ उठा सकते हैं.
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होलिका दहन पर क्या करना चाहिए? होलिका दहन के दिन हरि-हर पूजा करनी चाहिए. हरि यानी भगवान विष्णु और हर मतलब शिव. फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर प्रह्लाद का जीवन विष्णु भक्ति की वजह से ही बचा था. तभी से हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ ही विष्णु पूजन की परंपरा भी चली आ रही है. लेकिन साथ ही इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं और हर तरह के दोष भी खत्म होते हैं. इसलिए विद्वानों ने इस पर्व पर हरि-हर पूजा का विधान बताया है.
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Holika Dahan 2025 Bhadra: होलिका दहन पर भद्रा का साया, ज्योतिषाचार्य ने दी बड़ी जानकारी भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदयात की मान्यता से पूर्णिमा दूसरे दिन 14 मार्च को है, लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम होगा. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है.
शास्त्रीय मत भी है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए. 13 मार्च को होलिका दहन भद्रा (Bhadra) के बाद होगा. भद्रा 13 मार्च को सुबह 10:36 से रात्रि 11:27 बजे तक रहेगी. ऐसे में रात 11:28 से लेकर 12:15 बजे के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा.
तर्क ये भी है कि 13 मार्च को प्रदोषकाल में भद्रा होने से होलिका दहन (Holika Dahan 2025) नहीं होगा. होलाष्टक होलिका दहन के बाद खत्म माना जाता है, लेकिन इस बार यह दूसरे दिन 12:24 बजे के बाद खत्म होगा. पूर्णिमा व्रत 14 मार्च को होगा. इसी दिन धुलंडी मनाई जाएगी.
यथा भद्रायां हे न कर्तव्ये श्रावणी (रक्षाबंधन) फाल्गुनी (होलिकादहन) तथा. श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम दहति फाल्गुनी ॥
( मुहर्त्तचिंतामणि )
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फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि कब से लग रही है? ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास बताते हैं कि होली के एक दिन पहले पूर्णिमा की तिथि में होलिका दहन किया जाता है. वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदयात की मान्यता से पूर्णिमा दूसरे दिन 14 मार्च को है, लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम होगा. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है. शास्त्रीय मत भी है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए. इस वर्ष होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा.
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होलिका दहन पर क्या ग्रहण पड़ रहा है? होलिका दहन पर ग्रहण को लेकर भी चर्चा है, इस बारे में जब एस्ट्रोलॉजर रुचि शर्मा ने बताया कि 13 मार्च को होलिका दहन होगा, 14 मार्च को पूर्णिमा की तिथि रहेगी, इसी दिन रंग की होली खेली जाएगी. पंचांग के अनुसार होली के वाले दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो कि वर्ष 2025 का पहला ग्रहण भी है, लेकिन होलिका दहन के दिन कोई भी ग्रहण नहीं लग रहा है. इसलिए होलिका दहन के मुहूर्त के समय सूतक आदि नियमों का पालन नहीं होगा.
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होली कब जलेगी, शुभ मुहूर्त नोट कर लें होलिका दहन पर इस बार भद्रा दोष रहेगा इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन हो सकेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा. इसकी वजह उस दिन भद्रा प्रातः 10:36 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:27 तक भूमि लोक की रहेगी. जो की सर्वथा त्याज्य है. अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 के मध्य होगा.
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होलिका दहन की ज्योतिषाचार्य ने बता दी सही डेट होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं होनी चाहिए. भद्रा के समय होलिका दहन करने से अनहोनी की आशंका रहती है. होलिका दहन 13 मार्च को होगा और होली 14 मार्च को मनाई जाएगी. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली इस बार 14 मार्च को मनेगा.
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Holika Dahan 2025: होलिका दहन किसी तिथि को किया जाता है होली का त्योहार देशभर में प्रसिद्ध है. होली से पूर्व रात को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन का दिन भक्तों को प्रह्लाद और होलिका की याद दिलाता है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है.
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Holika Dahan 2025: होलिका दहन किसी तिथि को किया जाता है होली का त्योहार देशभर में प्रसिद्ध है. होली से पूर्व रात को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन का दिन भक्तों को प्रह्लाद और होलिका की याद दिलाता है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है.