Hindu Nav Varsh 2023 Prediction: हिंदू धर्म में नववर्ष विक्रम संवत का स्वागत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है. मान्यता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही किया था. इसलिए हर साल नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है. साल 2023 में हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080, पिंगल संवत्सर का स्वागत बुधवार 22 मार्च 2023 के दिन किया जायेगा.


2080 के नव संवत्सर को 'पिंगल' नाम से जाना जाएगा. इस साल संवत के राजा बुध और मंत्री शुक्र होंगे. ज्योतिष के अनुसार, पिंगल नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में व्यवधान की स्थिति देखने को मिल सकती है. इस समय पर राजा और मंत्री दोनों के कारण स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है. साथ ही लोगों के मध्य निरंकुशता का प्रभाव भी देखने को मिल सकता है.



संवत राजा बुध- इस साल संवत के राजा बुध होंगे. बुध के प्रभाव से एक चीज जो मुख्य रुप से देखने को मिल सकती है वह है, लोगों के भीतर उत्साह ओर क्रोध. इस समय पर दुर्घटनाओं के प्रभाव से शुभ जन मानस के साथ प्रकृति भी प्रभावित हो सकती है. मंगल के प्रभाव के कारण चीजों में उछाल भी देखने को मिल सकता है. इस समय पर प्रकृति में बदलाव भी देखने को मिलेगा. भारी वर्षा और चक्रवात की स्थिति हो सकती है. अग्नि से होने वाली दुर्घटनाओं में वृद्धि भी देखने को मिल सकती है. पशुओें की कमी या पशुओं की हानि हो सकती है. शासन के प्रति आरोप प्रत्यारोपों का दौर भी देखने को मिल सकता है.


संवत मंत्री शुक्र- इस साल के मंत्री शुक्र हैं. इस कारण स्थिति थोड़ी जटिल हो सकती है. मंत्री होने के कारण भौतिक सुख सुविधाओं को लेकर खींचतान रह सकती है. राज्यों में चोरी ठगी, भ्रष्टाचार होने से हिंसा की स्थिति पनपेगी. जनता के मध्य उपद्रव होने की स्थिति रहेगी. जन-धन की हानि होने और नेताओं में परस्पर विरोध की स्थिति भी दिखाई देगी. रोगों की अधिकता से लोगों के मध्य भय की स्थिति रह सकती है. धार्मिक भावनाओं के प्रति रूढ़िवादिता देखने को मिलेगी. लोग चोरों और तस्करों के कारण परेशानी झेल सकते हैं.


सस्येश (फसलों) का स्वामी सूर्य- इस समय सस्येश सूर्य के होने से रस भरे फलों की कम पैदावार हो सकती है. सूर्य का प्रभाव होने से रस और दूध और फलों की वृद्धि की कमी दिखाई दे सकती है. इसी के साथ ही इन फलों के अतिरिक्त गेहूं, ईख (गन्ना) और फलदार वृक्षों और फूलों की पैदावार भी अच्छी हो सकती है. मौसमी फलों की पैदावार भी अच्छी हो सकती है. सोना, चांदी, घी, तेल चावल इत्यादि का व्यापार करने वालों के लिए समय लाभ का होगा. कृषि के क्षेत्र में अच्छा रुख दिखाई दे सकता है. पशुओं से लाभ मिलने की उम्मीद भी दिखाई देती है. खेती से जुड़े व्यापारियों को भी लाभ मिलने की अच्छी स्थिति दिखाई देती है.


मेघश गुरु का प्रभाव - मेघेश यानी वर्षा के स्वामी. इस साल गुरु को मेघेश का स्थान प्राप्त हो रहा है. गुरु के प्रभाव से प्रतिकूल वर्षा की स्थिति देखने को मिल सकती है. समाज में इस कारण अव्यवस्था फैल सकती है. बाढ़ और भूस्खलन का प्रभाव भी पड़ सकता है. मेघश का प्रभाव जहां पर होगा उस स्थान पर दूध और रसदार पदार्थों का प्रभाव अनुकूल रुप से रहेगा. लोगों को इन सभी से लाभ मिलेगा. गेहू और धान की पैदावार अच्छी होगी. वृक्षों पर फल फूलों की पर्याप्त मात्रा बनी रहने वाली है.


धान्येश शनि का प्रभाव - धान्येश अर्थात अनाज और धान्य के स्वामी शनि होंगे. शनि के प्रभाव से खेती अच्छी होगी और अनाज की पैदावार भी अच्छे से होती है. वर्षा का शुभ प्रभाव होने से लाभ की प्राप्ति होती दिखाई देती है. सभी प्रकार के रस भरे पदार्थों में बहुत अच्छी स्थिति रह सकती है. मूल्यों में वृद्धि अधिक रह सकती है. इस समय पंजाब से जुड़े क्षेत्रों में कृषी पर प्रभाव देखने को मिल सकता है. घाटे की स्थिति प्रभावित कर सकती है. इस समय वर्षा की कमी भी इसका कारण हो सकती है. पदार्थों में तेजी आएगी ये वस्तुएं महंगी हो सकती है. शासन की ओर से मदद भी मिल सकती है.


रसेश मंगल का प्रभाव- रसों का अधिकारी मंगल बनेंगे. मंगल के प्रभाव से वर्षा की स्थिति कम हो सकती है. भौतिक सुख कुछ कम रह सकते हैं. इस समय पर गर्मी के कारण रसों में कमी का प्रभाव भी आ स्कता है. घी, मक्खन, तेल में कुछ कमी होने से इनका महंगा प्रभाव भी रहेगा. इस समय पर प्रजा में चीजों की कमी का भय भी रह सकता है. प्रजा और शासन के मध्य में तनाव भी बढ़ सकता है. रसेश के प्रभाव से रुखापन जीवन में अधिक रहने वाला है.


नीरसेश सूर्य का प्रभाव- नीरसेश अर्थात ठोस धातुओं के स्वामी. इनके स्वामी सूर्य है. सूर्य के प्रभाव से सुंगधित वस्तुओं का व्यापार अच्छे से होने की उम्मीद दिखाई देती है. चीजों में आकर्षण का भाव होगा लोगों में भी इसकी ओर झुकाव रहेगा. इन चीजों की खरीदारी भी अच्छी हो सकती है.


फलेश गुरु का प्रभाव-फलेश अर्थात फलों का स्वामी. फलेश गुरु के प्रभाव से शुभ प्रभाव की प्राप्ति हो सकती है. शासन में लोगों का कुछ विश्वास गहरा होगा. न्याय के प्रति लोगों की समझ विकसित होगी. विद्वानों को इस समय लाभ मिल सकता है.


धनेश सूर्य का प्रभाव - धनेश अर्थात धन के स्वामी राज्य के कोश का स्वामी. धनेश सूर्य के होने से यह समय आर्थिक क्षेत्र में थोड़ा अनुकूल कहा जा सकता है. इस समय पर लोगों की ओर से लाभ में वृद्धि का कुछ मौका मिल सकता है. शासन व्यवस्था में व्यापार करने वालों के लिए ये कुछ सकारात्मक स्थिति हो सकती है.


दुर्गेश गुरु का प्रभाव - दुर्गेश अर्थात सेना का स्वामी. गुरु के दुर्गेश होने से सैन्य कार्य थोड़े सुस्त देखाई दे सकते हैं. इस समय पर नए चीजों का आगमन तो होगा लेकिन प्रभावशीलता अधिक न दिखाई दे पाए.


नवसंवत्सर 2080 और भारत की अर्थव्यवस्था


संवत्सर 2080 में नौ राज्यों में से कम से कम सात राज्यों में भाजपा की सरकार बन सकती हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह वर्ष भारत के पड़ोसी देशों जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल प्रमुख हैं. इनका आर्थिक रूप से दिवालियापन हो सकता है. विश्व में चल रहे यूक्रेन और रूस युद्ध  और अन्य मोर्चों पर नए युद्ध के फ्रंट खुलने के कारण विश्व तृतीय विश्व युद्ध की ओर कदम बढ़ाएगा, जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण विश्व में एक बार फिर से विश्व आर्थिक मंदी के बादल मंडराने लगेंगे. इजराइल और ईरान दोनों देशों के युद्ध फ्रंट खुलने के योग बन रहे हैं. विश्व में चारों और अशांति और विवाद की स्थिति रह सकती हैं.


सभी देश आर्थिक मंदी को चपेट में आयेंगे. इस स्थिति में केवल वही देश स्वयं की अर्थव्यवस्था को संभाल पाएंगे जो पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होंगे. जो देश जितने प्रतिशत अपने विकास और जीवनयापन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हैं उसी मात्रा (प्रतिशत) में संबंधित देश के दिवालिया होने की स्थिति बनेगी. कहने का अर्थ यह है कि केवल और केवल पूर्णत: आत्मनिर्भर देश ही विश्व में बन रही गंभीर आर्थिक मंदी का सामना कर पाएंगे, शेष सभी देश कुछ पूर्णतया तो कुछ लगभग विश्व आर्थिक मंदी की सुनामी में बह जाएंगे.


भारत को अगर विश्व आर्थिक मंदी की सुनामी से बचना है तो उसे अपने आयात नीति पर विशेष ध्यान देना होगा. अप्रैल 2023 में जब देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में गोचर करने लगेंगे, उस समय कुंभ राशि में गोचर कर रहे शनि देव को तीसरी दृष्टि बृहस्पति देव पर पड़ने लगेगी. इससे शनि के प्रभाव से गुरु ग्रह पीड़ित होंगे. जब जब गोचर में शनि की तीसरी दृष्टि बृहस्पति देव पर आती है तब तब सेंसेक्स गिरता है. परंतु इस समय विश्व में चल रहे यूक्रेन और रूस के युद्ध के साथ साथ अन्य स्थानों पर भी युद्ध के योग बनने के कारण इस वर्ष स्थिति अधिक गंभीर और तनावपूर्ण है.


विश्व के बड़े भू-भाग पर सफेद बर्फ की चादर फैलने से हालत अधिक खराब होंगे. कुंभ का शनि तापमान में रिकॉर्ड गिरावट, एक के बाद एक बर्फील तूफानों, पृथ्वी की आंतरिक परतों के खिसकने के फलस्वरूप पूर्वी देशों को बर्फीले तूफान, भूकंप और जून माह से बड़े पैमाने पर बाढ़, जलप्रवाह के योग बनाएगा. विश्व में कुछ नए देश सामने आएंगे. कुछ देशों का अस्तित्व खतरे में होगा.


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