Garuda Purana Lord Vishnu Niti: हिंदू धर्म शास्त्रों में दान के महत्व के बारे में बताया गया है. दान करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है. सनातन धर्म में सदियों से ही दान की परंपरा रही है. आज भी लोग मन की शांति, मनोकामना पूर्ति, पुण्य की प्राप्ति, ग्रह-दोषों के प्रभाव से मुक्ति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान करते हैं.

दान का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि, आपके द्वारा किए दान का लाभ केवल जीवन ही नहीं बल्कि मृत्यु के बाद भी मिलता है. क्योंकि मृत्यु के बाद जब आपके कर्मों का आंकलन किया जाता है तो यही पुण्य कर्म काम आते हैं.

लेकिन दान का पुण्य फल आपको तभी प्राप्त होता है, जब दान सही समय, सही तरीके और सच्चे मन में किया गया हो. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा एक श्लोक के माध्यम से व्यक्ति द्वारा किए ऐसे दान के बारे में बताया गया है, जो किसी काम नहीं. ऐसे दान से न ईश्वर प्रसन्न होते हैं और ना ही इसका पुण्य फल आपको मिलता है. जानते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार, कब और कैसे करना चाहिए दान.

श्लोक- दाता दरिद्रः कृपणोर्थयुक्तः पुत्रोविधेयः कुजनस्य सेवा।परापकारेषु नरस्य मृत्युः प्रजायते दिश्चरितानि पञ्च।।

  • सामर्थ्यनुसार करें दान: इस श्लोक के अनुसार, दान से भले ही आपको पुण्य प्राप्त होता है और ऐसे लोगों से ईश्वर भी प्रसन्न रहते हैं. लेकिन अपने सामर्थ्यनुसार ही दान करना चाहिए. आमदनी कम होने या बिना सोचे समझे किया गया दान दरिद्रता का कारण बन सकता है. इसलिए दान करने से पहले अपनी आर्थिक परिस्थिति का आकलन जरूर करें. शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को अपनी कमाई का दशवंध यानी 10 प्रतिशत दान करना चाहिए.
  • दिखावे के लिए न करें दान: ऐसे दान का कोई लाभ नहीं होता, जिसे आप दिखावे के लिए करते हैं. केवल श्रदधापूर्वक किया गया दान ही पुण्य कर्म की श्रेणी में आता है. इसलिए कहा जाता है कि, दान ऐसा होना चाहिए कि एक हाथ से करें और दूसरे हाथ को भी पता न चले.
  • सच्चे मन से करें दान: क्रोध भावना के साथ या मजबूती में किसी तरह का दान न करें. ऐसा दान किसी काम का नहीं होता. वहीं अघाए हुए लोगों को भी कभी दान न करें. दान किसी ऐसे को ही करें, जिसे इसकी आवश्यकता हो.

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