Ravan Dahan 2025: दशहरा का त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय और अच्छाई पर सत्य की जीत के तौर पर मनाया जाता है. हर साल यह पर्व आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल दशहरा आज 2 अक्टूबर 2025 को है.
आज जगह-जगह रावण का पुतला जलाया जाएगा. रावण का पुतला जलाना समाज में इस बात का संदेश देता है कि, बुरा या अधर्म का रूप चाहे कितना ही विशाल और मजबूत क्यों ना हो अंतत: वह सच्चाई के सामने कभी टिक नहीं पता और उसका विनाश निश्चित है.
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि, रावण दहन के समय रावण का पुतला जलाने के साथ ही उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुंभकर्ण का पुतला भी जलाया जाता है. रावण विद्वान, शिवभक्त और महापंडित था. लेकिन उसका सबसे बड़ा दोष यह था कि, उसने अहंकार और अधर्म की राह पकड़ ली थी. लेकिन दशहरा पर मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला क्यों जलाया जाता है. इनका क्या दोष था. आइए जानते हैं-
मेघनाथ का दोष- मेघनाथ रावण का पुत्र था. वह एक पराक्रमी योद्धा भी था, जिसने कई बार युद्ध में देवताओं को भी पराजित किया. मेघनाथ को इंद्रजीत भी कहा जाता है. क्योंकि उसने देवराज इंद्र को भी हरायाथा. मेघनाथ का दोष यह था कि, उसने अपनी शक्ति का प्रयोग अधर्म और अन्नाय के लिए किया. रावण की अधार्मिक नीतियों में मेघनाथ भी सहभागी बना. दशहरा पर मेघनाथ का पुतला जलाना इस बात का संदेश देता है कि, सजा केवल अधर्म करने वालों को ही नहीं बल्कि अधर्म और अन्नाय का साथ देने वालों को भी मिलता है.
कुंभकर्ण का दोष- रावण की तरह ही उसका भाई कुंभकर्ण भी अत्यंत बलशाली था. कुंभकर्ण को ब्रह्मा जी के वरदान प्राप्त था कि, वह साल में केवल 6 महीने ही नींद से जागता था. हालांकि कुंभकर्ण अपने भाई रावण के कृत्यों से सहमत नहीं था. उसने रावण को कई बार समझाया भी कि सीता को मुक्त कर दे. लेकिन जब युद्ध का समय आया तो उसने रावण का पक्ष लिया और उसकी सेना में शामिल हो गया. इसलिए दशहरा पर रावण के साथ कुंभकर्ण का भी दहन होता है, जोकि इस बात का संदेश है कि सत्य का साथ न देना भी उतना ही बड़ा दोष है जितना गलत का साथ देना.
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