Dussehra Puja 2023: 24 अक्टूबर को यानी आज दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन को भगवान राम ने रावण का वध किया था, जिसे अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इस दिन देश भर में अलग-अलग जगहों पर रावण दहन किया जाता है. इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है. आज के दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ माना जाता है.  दशहरा सामाजिक एकता, सहयोग, और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है.


शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त


दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है. इस दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है. दशहरे के दिन यानी 24 अक्टूबर को शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01:58 मिनट से दोपहर 02:43 मिनट तक रहेगा.



रावण दहन का शुभ मुहूर्त


दशहरा के दिन लंकापति रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है. पुतलों का दहन सही समय में करना शुभ माना जाता है. विजयदशमी के दिन यानी 24 अक्टूबर को पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के समय शाम 06 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट के बीच रहेगा. इसके अलावा रावण दहन का एक अन्य मुहूर्त शाम 07 बजकर 19 मिनट से रात 08 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.


दशहरा के दिन ये काम करना माना जाता है शुभ


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन हर तरह शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन जैसे कार्य शुभ माने गए हैं. इस दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.


दशहरा की पूजन विधि


दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ और फल रखें. इस प्रतिमा पर केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. अगर बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती परिजनों को देनी चाहिए. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.


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