Chanakya Niti, Motivation Thought in Hindi: चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बहुत ही महत्वपूर्ण बाते बताई हैं. चाणक्य नीति के बारे में ऐसा माना जाता है कि ये आज भी प्रासंगिक हैं. चाणक्य की बातें व्यक्ति को दुखों से निकालती है और जीवन में सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं. चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में चर्चा की हैं जो मनुष्य के लिए बहुत ही कष्टकारी मानी गई हैं-


कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।


चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी मनुष्य के लिए पत्नी का वियोग होना, अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत होना. कर्ज, दुष्ट राजा की सेवा करना. गरीबी और कमजोर लोगों की सभा में शामिल होना ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं.


चाणक्य के इस श्लोक का भाव ये है कि जिस व्यक्ति की पत्नी छोड़कर चली जाती है, उसका दर्द वही समझ सकता है. वहीं व्यक्ति अपनों द्वार जब बेइज्जत होता है तो ये बहुत बड़ा कष्ट होता है. ये एक ऐसी पीड़ा होती है जो जिसे भूला पना मुश्किल होता है. इससे भी अधिक कष्टकारी दुष्ट राजा की सेवा करना होता है. 


दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।


चाणक्य नीति में सफलता के लिए अच्छी संगत पर विशेष जोर दिया है. इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति गलत लोगों की संगत करता है. दुष्ट लोगों के साथ उठता-बैठता है और बुरे कार्यों को करने वाले से मित्रता करता है तो ऐसे व्यक्ति को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता है. इसीलिए संगत को लेकर मनुष्य सदैव गंभीर और सतर्क रहना चाहिए.


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