Bajrang Baan: हनुमान जी की पूजा के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए मंगलवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है. पंचांग के अनुसार 20 सितंबर 2022, मंगलवार को दशमी की तिथि है. इस तिथि का संबंध भगवान राम से है. इसलिए आज का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष है. बजरंग वाण का पाठ विधि पूर्वक करने से शत्रु पराजित होते हैं, संकटों से मुक्ति मिलती है और घर का वास्तु दूर होता है. आज बजरंग वाण का पाठ करने का उत्तम संयोग बना है. यहां पढ़ें बजरंग वाण-
दोहानिश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाईजय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
दोहाप्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।।
बजरंग वाणी के पाठ की विधिमान्यता के अनुसार बजरंग बाण का पाठ मंगलवार की मध्यरात्रि करना चाहिए. इसे आरंभ करने से पहले पूर्व दिशा में एक चौकी लगाएं और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं. इसके उपरांत एक कागज पर ये मंत्र लिखे 'ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्'. इसे चौकी पर रख दें. फिर चौकी के दायीं ओर घी का दीपक जलाएं. आसन पर विराजमान होकर बजरंग बाण का पाठ शुरू करें. इसका 5 बार पाठ करें. पाठ समाप्त होने के बाद कागज पर लिखे मंत्र को घर में बने मंदिर में रख दें और नित्य इसकी पूजा करें.
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