Axiom-4 Mission: शुभांशु शुक्ला की उड़ान एक बार फिर रुकी, पर क्यों? 22 जून 2025...SpaceX और Axiom ने फिर से वही घोषणा की, Axiom-4 मिशन फिलहाल स्थगित.
करीब चार दशकों बाद भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री फिर मानव अंतरिक्ष उड़ान की दहलीज पर हैं. 40 साल बाद भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए यह मिशन पहली मानव अंतरिक्ष यात्रा की ऐतिहासिक वापसी है. लेकिन इसमे रह-रहकर बाधाएं आ रही हैं.
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जिनकी उड़ान अब अंतरिक्ष नहीं, इंतजार के घेरे में है. क्या वो या ये मिशन किसी अदृश्य ब्रह्मांडीय संकेत से प्रभावित हो रहा है?
ये महज तकनीकी गड़बड़ी नहीं लगती, क्योंकि पिछले दो हफ्तों से सब कुछ ठीक था. LOX रिसाव भी नियंत्रित, ISS मॉड्यूल क्लियर. फिर? ऐसा क्या हुआ? ज्योतिष का ज्ञान क्या इस रहस्य से पर्दा हटा सकता है?
इस मिशन में क्या मंगल की अग्नि, केतु का भ्रम बाधा बन रहा है या फिर गुरु का मार्गदर्शन कहीं कमजोर पड़ रहा है? ग्रहों की चाल से समझते हैं-
क्या हुआ अब तक? मिशन की बदलती तारीखें और ग्रहों का गणित
| दिनांक | मिशन स्टेटस | ग्रह स्थिति (संक्षेप में) |
| 7 जून | LOX रिसाव के कारण उड़ान रुकी | मंगल सिंह में, गुरु अस्त |
| 11 जून | 22 जून तय हुआ | चंद्र मंगल की राशि वृश्चिक में, शनि स्थिर |
| 20 जून | ISS क्लीयर | गुरु अब भी अस्त |
| 22 जून | उड़ान फिर टली | मंगल–चंद्र साथ, गुरु अस्त |
पंचांग अनुसार 22 जून 2025 को गुरु अस्त, मंगल सिंह में, और चंद्रमा मंगल की राशि मेष में गोचर कर रहा है. यही वह क्षण था जब यात्रा ने रुकने का संकेत दिया कि 'अभी नहीं.'
मंगल केतु की सिंह राशि में युति और अंगारक योग का निर्माण हो रहा, इस पर वैदिक ज्योतिष क्या कहता है?
ग्रह स्थिति और कालावधि
- मंगल: 7 जून 2025 को सिंह राशि में प्रवेश करता है
- केतु: पहले से ही सिंह राशि में
- युति काल: 7 जून 2025 से 28 जुलाई 2025 तक
इसी दौरान ही Axiom-4 मिशन की दो बार उड़ान टली, 7 जून और फिर 22 जून.
शास्त्रीय प्रमाण के तौर पर देखें तो बृहत् संहिता, मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार 'मंगलो यंत्रदाहकः केतुः विच्छेदकारकः. तयोः संयोगे विपत्तिरेव जातु न विफला.'
यानि मंगल यंत्रों को जलाने वाला है और केतु विच्छेद (संपर्क टूटने) का कारण है. जब ये दोनों एक ही राशि में संयोग करते हैं, तब विपत्ति अवश्य घटित होती है, वह कभी व्यर्थ नहीं जाती.
- मंगल ग्रह जो अग्नि, यंत्र, ऊर्जा, दुर्घटना का कारक है.
- केतु ग्रह जो विच्छेद, अदृश्य बाधा का प्रतीक है.
इन दोनों के मिलन से ही सिंह राशि में 'अंगारक योग बना है जो कारण माना जा सकता है-
- प्रज्वलन विफलता (ignition failure)
- LOX टैंक रिसाव (7 जून)
- तकनीकी चेक के बावजूद मिशन फिर से स्थागित
वैज्ञानिक समानता (Historical Precedents)
- चंद्रयान-2 (2019): प्रक्षेपण की तारीख मंगल–केतु युति काल में टली
- अपोलो 13 (1970): उड़ान से पूर्व केतु–मंगल दृष्टि, मुख्य यंत्रविघ्न
- ISRO GSLV-F10: यंत्रविफलता मंगल–केतु दृष्टि के दौरान
मंगल–केतु की युति ने इस बार केवल ग्रहों का संयोग नहीं रचा, बल्कि मानव की आकांक्षा को कुछ समय के लिए थाम दिया. इस युति का असर 28 जुलाई 2025 तक बना रहेगा. इस दौरान कोई भी तकनीकी मिशन, विशेषतः यंत्र आधारित या अग्नि-संचालित, विलंब या असफलता के उच्च जोखिम में रहेगा.
इस मिशन में मंगल के साथ बृहस्पति ग्रह यानि ग्रह की भूमिका को भी जानना आवश्यक है. किसी भी शुभ कार्य, यात्रा या विज्ञान की सफलता के लिए गुरु की स्थिति का भी परीक्षण करना जरूरी है. मिशन के दौरान गुरु अस्त है, यही कारण है कि मार्गदर्शन, व्यवस्था और शुभ कार्यों में रुकावट की स्थिति देखने को मिल रही है.
'गुरौ अस्ते न कर्तव्यं शुभकर्म, न यात्रया' यानि जब बृहस्पति (गुरु) अस्त हो, उस समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य और यात्रा को नहीं करना चाहिए.
'मंगलो यंत्रविनाशाय यदि सिंहगतो भवेत्मं' मंगल सिंह राशि में हो तो यंत्र, अग्नि, क्रिया और ऊर्जा में अवरोध आता है,
शनि स्थिरगामी: शनि जब इस स्थिति में हो तो निर्णय लटक जाते हैं.
जब ये तीनों ग्रह ऐसी स्थिति में होते हैं, तो ब्रह्मांड स्वयं "प्रोसेस को रोक" देता है, जैसे कोई Invisible Clearance अभी लंबित हो.
क्या यह भारत के 'स्पेस करमा' की परीक्षा है?
शुभांशु शुक्ला अकेले नहीं रुके, यह पूरे भारत का सपना है जो अंतरिक्ष की देहरी पर सांस रोक कर खड़ा है. ठीक वैसे ही जैसे चंद्रयान-2 गुरु अस्त में रुका. अपोलो 13 मिशन चंद्र राहु-केतु के समय में फंसा और मंगलयान तभी सफल हुआ जब मंगल मार्गी और गुरु उदय में था.
अब कब बनेगी सही स्थिति
| समय | ग्रह स्थिति | उड़ान की संभावना |
| जुलाई मध्य | शनि वक्री, गुरु अस्त | रुकावटें जारी रह सकती हैं |
| अगस्त 2025 | गुरु उदय, मंगल शांत, चंद्र शुभ नक्षत्र | सबसे अनुकूल समय |
FAQ:
Q1. क्या Axiom-4 मिशन तकनीकी कारणों से टला?हां, पहली बार LOX रिसाव और बाद में ISS सुरक्षा समीक्षा कारण बने.
Q2. क्या यह भारत के पहले कमर्शियल अंतरिक्ष यात्री के लिए खतरे का संकेत है?नहीं. ये ग्रहों की ‘अनुकूलता’ की प्रतीक्षा है, शुभ समय आने वाला है.
Q3. क्या भारतीय ग्रंथों में ऐसा कुछ लिखा है?हां. गुरु अस्त में यात्रा वर्जित है. ऋग्वेद, विष्णुपुराण आदि में ग्रहों के सामंजस्य को कार्यों की सफलता से जोड़ा गया है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.