Shiva 108 Names: सावन का महीना ही नहीं भाद्रपद मास यानि भादो का महीना भी भगवान शिव के लिए अति उत्तम माना गया है. भादो का महीना, चातुर्मास का दूसरा महीना है. चातुर्मास में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है चातुर्मास भी में पृथ्वी लोक की जिम्मेदारी भगवान शिव के हाथों में सौंप कर भगवान विष्णु शयन काल के लिए पातला लोक प्रस्थान कर जाते हैं.
चातुर्मास में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. 06 सितंबर को सोमवार का दिन है. इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है.
शिव योग में भगवान शिव की पूजा का महत्वपंचांग के अनुसार 06 सितंबर 2021, सोमवार को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, मघा नक्षत्र रहेगा. इस दिन चंद्रमा सिंह राशि में विराजमान रहेगा. पंचांग के मुताबिक सोमवार को प्रात: 06 बजकर 52 मिनट तक शिव नाम का अत्यंत शुभ योग बना हुआ है. इसके बाद सिद्धि योग आरंभ होगा. इन दोनों ही योग में भगवान शिव की पूजा उत्तम फल प्रदान करने वाली मानी गई है. इस भगवान शिव के 108 नामों का जप करना भी श्रेष्ठ फलदायी माना गया है.
भगवान शिव के 108 नाम (108 Names of Shiva)1. शिव: कल्याण स्वरूप2. महेश्वर: माया के अधीश्वर3. शम्भू: आनंद स्वरूप वाले4. पिनाकी: पिनाक धनुष धारण करने वाले5. शशिशेखर: चंद्रमा धारण करने वाले6. वामदेव: अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले7. विरूपाक्ष: विचित्र अथवा तीन आंख वाले8. कपर्दी: जटा धारण करने वाले9. नीललोहित: नीले और लाल रंग वाले10. शंकर: सबका कल्याण करने वाले11. शूलपाणी: हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले12. खटवांगी: खटिया का एक पाया रखने वाले13. विष्णुवल्लभ: भगवान विष्णु के अति प्रिय14. शिपिविष्ट: सितुहा में प्रवेश करने वाले15. अंबिकानाथ: देवी भगवती के पति16. श्रीकण्ठ: सुंदर कण्ठ वाले17. भक्तवत्सल: भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले18. भव:संसार के रूप में प्रकट होने वाले19. शर्व: कष्टों को नष्ट करने वाले20. त्रिलोकेश: तीनों लोकों के स्वामी21. शितिकण्ठ: सफेद कण्ठ वाले22. शिवाप्रिय: पार्वती के प्रिय23. उग्र: अत्यंत उग्र रूप वाले24. कपाली: कपाल धारण करने वाले25. कामारी: कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले26. सुरसूदन: अंधक दैत्य को मारने वाले27. गंगाधर: गंगा को जटाओं में धारण करने वाले28. ललाटाक्ष: माथे पर आंख धारण किए हुए29. महाकाल: कालों के भी काल30. कृपानिधि: करुणा की खान31. भीम: भयंकर या रुद्र रूप वाले32. परशुहस्त: हाथ में फरसा धारण करने वाले33. मृगपाणी: हाथ में हिरण धारण करने वाले34. जटाधर: जटा रखने वाले35. कैलाशवासी: कैलाश पर निवास करने वाले36. कवची: कवच धारण करने वाले37. कठोर: अत्यंत मजबूत देह वाले38. त्रिपुरांतक: त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले39. वृषांक: बैल-चिह्न की ध्वजा वाले40. वृषभारूढ़: बैल पर सवार होने वाले41. भस्मोद्धूलितविग्रह: भस्म लगाने वाले42. सामप्रिय: सामगान से प्रेम करने वाले43. स्वरमयी: सातों स्वरों में निवास करने वाले44. त्रयीमूर्ति: वेद रूपी विग्रह करने वाले45. अनीश्वर: जो स्वयं ही सबके स्वामी है46. सर्वज्ञ: सब कुछ जानने वाले47. परमात्मा: सब आत्माओं में सर्वोच्च48. सोमसूर्याग्निलोचन: चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले49. हवि:आहुति रूपी द्रव्य वाले50. यज्ञमय: यज्ञ स्वरूप वाले51. सोम: उमा के सहित रूप वाले52. पंचवक्त्र: पांच मुख वाले53. सदाशिव: नित्य कल्याण रूप वाले54. विश्वेश्वर: विश्व के ईश्वर55. वीरभद्र: वीर तथा शांत स्वरूप वाले56. गणनाथ: गणों के स्वामी57. प्रजापति: प्रजा का पालन- पोषण करने वाले58. हिरण्यरेता: स्वर्ण तेज वाले59. दुर्धुर्ष: किसी से न हारने वाले60. गिरीश: पर्वतों के स्वामी61. गिरिश्वर: कैलाश पर्वत पर रहने वाले62. अनघ: पापरहित या पुण्य आत्मा63. भुजंगभूषण: सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले64. भर्ग: पापों का नाश करने वाले65. गिरिधन्वा: मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले66. गिरिप्रिय: पर्वत को प्रेम करने वाले67. कृत्तिवासा: गजचर्म पहनने वाले68. पुराराति: पुरों का नाश करने वाले69. भगवान: सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न70. प्रमथाधिप: प्रथम गणों के अधिपति71. मृत्युंजय: मृत्यु को जीतने वाले72. सूक्ष्मतनु: सूक्ष्म शरीर वाले73. जगद्व्यापी: जगत में व्याप्त होकर रहने वाले74. जगद्गुरू: जगत के गुरु75. व्योमकेश: आकाश रूपी बाल वाले76. महासेनजनक: कार्तिकेय के पिता77. चारुविक्रम: सुन्दर पराक्रम वाले78. रूद्र: उग्र रूप वाले79. भूतपति: भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी80. स्थाणु: स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले81. अहिर्बुध्न्य: कुण्डलिनी धारण करने वाले82. दिगम्बर: नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले83. अष्टमूर्ति: आठ रूप वाले84. अनेकात्मा: अनेक आत्मा वाले85. सात्त्विक: सत्व गुण वाले86. शुद्धविग्रह: दिव्यमूर्ति वाले87. शाश्वत: नित्य रहने वाले88. खण्डपरशु: टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले89. अज: जन्म रहित90. पाशविमोचन: बंधन से छुड़ाने वाले91. मृड: सुखस्वरूप वाले92. पशुपति: पशुओं के स्वामी93. देव: स्वयं प्रकाश रूप94. महादेव: देवों के देव95. अव्यय: खर्च होने पर भी न घटने वाले96. हरि: विष्णु समरूपी97 .पूषदन्तभित: पूषा के दांत उखाड़ने वाले98. अव्यग्र: व्यथित न होने वाले99. दक्षाध्वरहर: दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले100. हर: पापों को हरने वाले101. भगनेत्रभिद्: भग देवता की आंख फोड़ने वाले102. अव्यक्त: इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले103. सहस्राक्ष: अनंत आँख वाले104. सहस्रपाद: अनंत पैर वाले105. अपवर्गप्रद: मोक्ष देने वाले106. अनंत: देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित107. तारक: तारने वाले108. परमेश्वर: प्रथम ईश्वर
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