एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है? (Air Quality Index)
किसी भी शहर की वायु गुणवत्ता को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापा जाता है। यह सूचकांक सरकारी एजेंसियों द्वारा बनाया जाता है। एक शहर का AQI जानने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों को देखा जाता है और उनकी मात्रा को मापा जाता है। AQI स्तर से लोगों को यह पता चलता है कि वायु प्रदूषण बढ़ रहा है या घट रहा है। साथ ही यह भी बताया जाता है कि यह प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए कैसे नुकसानदायक हो सकता है। जब AQI बढ़ जाता है, तो लोगों को बाहर मास्क पहनने और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
भारत में सबसे प्रदूषित शहर/राज्य
Updated: December 19, 2025| Rank | City, States | AQI |
|---|---|---|
| 1 | Noida, Uttar Pradesh | 397 |
| 2 | Delhi, Delhi | 373 |
| 3 | Panchkula, Haryana | 346 |
| 4 | Baddi, Himachal Pradesh | 345 |
| 5 | Greater Noida, Uttar Pradesh | 344 |
| 6 | Ghaziabad, Uttar Pradesh | 339 |
| 7 | Byasanagar, Odisha | 314 |
| 8 | Visakhapatnam, Andhra Pradesh | 312 |
| 9 | Angul, Odisha | 305 |
| 10 | Manesar, Haryana | 304 |
Frequently Asked Questions
एक्यूआई का फुल फॉर्म क्या है?
हवा की हालत जब-जब खराब होती है, उसको एक्यूआई में मापा जाता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स को संक्षिप्त या शॉर्ट फॉर्म में हम एक्यूआई के नाम से जानते हैं.
एक्यूआई क्या होता है?
एक्यूआई एक किस्म का संकेतक/इंडिकेटर है, जिसे सरकारी एजेंसियों ने विकसित किया है. इसे हवा की गुणवत्ता बताने और आगे के पूर्वानुमान जानने के लिए तैयार किया गया है.
बढ़िया एक्यूआई कितना होना चाहिए?
सामान्य तौर पर 100 के नीचे एक्यूआई को संतोषजनक माना जाता है. यह जब 100 के ऊपर होता है, तब एयर क्वालिटी को नुकसानदेह समझा जाता है.
एक्यूआई की गणना कैसे की जाती है?
वायु की गुणवत्ता AQI के जरिए मापी जाती है. AQI में हवा को शून्य से 50 के बीच गुड (अच्छा), 51-100 के बीच मॉडरेट (मध्यम), 101-150 के बीच अनहेल्दी फॉर सेंसिटिवि ग्रुप्स (संवेदनशील समूहों के लिए नुकसानदेह), 151-200 के बीच अनहेल्दी (नुकसानदेह), 201 से 300 के बीच वेरी अनहेल्दी (बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली) और 301-500 के बीच हजारडस (जोखिम भरा या खतरनाक) माना जाता है.
एक्यूआई के 500 के ऊपर जाने पर क्या होता है?
500 या इसके पार जाने पर एक्यूआई को बेहद गंभीर माना जाता है. जब हवा का स्तर इतना गिर जाता है, तब लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. उन्हें इस दौरान दिल और फेफड़े से जुड़ी बीमारियां होने की भी आशंका रहती है.