Indigenous Wheat Farming: देश में खरीफ फसलों की कटाई लगभग निपट चुकी है. किसान भी अब फसलों कि बिक्री के लिये मंडी पहुंच रहे हैं. साथ ही कई इलाकों में गेहूं की खेती (Wheat Farming) के लिये तैयारियां जोरों पर है. वैसे तो गेहूं की बुवाई के लिये 5 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है, लेकिन कई किसान गेहूं की अगेती खेती (early farming of Wheat) के लिये 20 अक्टूबर से बुवाई करते हैं.


खरीफ सीजन में मौसम की मार झेलने के बाद अब किसान गेहूं की ऐसी किस्मों की तलाश कर रहे हैं, जिसमें मौसम की अनिश्चितताओं का असर ना पड़े. गेहूं की फसल तमाम जोखिमों के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सके. ऐसे में गेहूं की दो देसी किस्में (Indigenous Wheat) किसानों  के लिये वरदान साबित हो सकती है. इनका नाम है कुदरत 8 विश्वनाथ (Kudrat 8 Vishwanath) और कुदरत विश्वनाथ(Kudrat Vishwanath), जो वाराणसी के एक प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने विकसित की है. ये किस्में साल 2017 से ही चर्चा का विषय बनी हुई हैं. 


गेहूं की देसी किस्म है 'कुदरत 8 विश्वनाथ'
आज कृषि के विकास-विस्तार और आधुनिक तकनीकों के आ जाने से गेहूं की हाइब्रिड किस्मों से खेती का चलन आ गया है, लेकिन पुराने समय से ही गेहूं की देसी किस्मों ज्यादा टिकाऊ और क्वालिटी उत्पादन दे रही है. इन्हीं किस्मों में शामिल है गेहूं की कुदरत 8 विश्वनाश, जो  बुवाई के 110 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती हैं. इस प्रजाति के पौधों की ऊंचाई करीब 90 सेमी और लंबाई 20 सेमी यानी 9 इंच होती है.


इस किस्म की गेहूं का दाना मोटा और चमकदार होता है, जिससे प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. आज जलवायु परिवर्तन के दौर में इस किस्मों की भारी डिमांड है, क्योंकि घटते-बढ़ते तापमान में गेहूं की क्वालिटी के साथ-साथ उत्पादन पर भी बुरा पड़ रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों के हजारों किसानों ने खुद कुदरत 8 विश्वनाश किस्म की सफल खेती करके अच्छे परिणा हासिल किये हैं.


कुदरत विश्वनाथ
कुदरत विश्वनाश भी प्रकाश सिंग रघुवंशी ने ही विकसित की है. गेहूं की इस खास किस्म की बुवाई नवंबर से लेकर 10 जनवरी तक की जा सकती है. सबसे अच्छी बात ये है कि सर्दियों में ओलावृष्टि और मौसम बदलने पर बारिश और आंधी के खिलाफ भी ये गेहूं की फसल ढाल बनकर खड़ी रहती है. इस किस्म के गेहूं का तना मोटा और मजबूत होता है. इसकी पत्तियां लंबी-चौड़ी और बालियां 9 से 10 इंच लंबी होती है. बेहत कम लागत और जोखिमों के साथ भी किसान इन किस्मों  से काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. 


प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी
जानकारी के लिये बता दें कि प्रकाश सिंह रघुवंशी खुद की कुदरत कृषि शोध संस्था चलाते हैं, जो टड़िया, जाक्खिनी, जिला वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक प्रकाश सिंह रघुवंशी करीब फसल की 300 प्रजातियां (Top Wheat Varieties) विकसित कर चुके हैं, जिनसे खेती करके आज हजारों किसान अच्छी पैदावार (Wheat Production) ले रहे हैं.  शुरूआत में इन्होंने देसी किस्में विकसित करके किसानों में मुफ्त बीजों का वितरण (Free Seed Distribution) किया और लोगों को देसी बीजों से खेती के लिये प्रोत्साहित करने के साथ-साथ जैविक खेती (Organic Farming) करने के लिये प्रेरित किया है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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