Wheat Stock In India: केंद्र सरकार के स्टॉक में गेहूं की कमी नहीं है. इसको लेकर जो केंद्र सरकार के ताजा आंकड़े सामने आए हैं. वह राहत देने वाले हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि देश में गेहूं की उपज शानदार हुई है. बंपर स्टॉक केंद्र सरकार के पास हैं. मौजूदा समय में जो रबी सीजन की बुवाई चल रही है. उसका ब्यौरा भी केंद्र सरकार के स्तर से जुटाया जा रहा है. 


1 जनवरी 2023 को 1.53 करोड़ टन होगा गेहूं का स्टॉक


गेहूं स्टॉकेज के केंद्र सरकार के आंकड़े संतोषजनक हैं. केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, एक जनवरी 2023 को सरकारी गोदामों में कुल 1.59 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक होगा, जबकि केंद्र सरकार का बफर मानक 1.38 करोड़ टन तय है. वहीं, 12 दिसंबर 2022 को सेंट्रल पूल में गेहूं का कुल स्टॉक 1.82 करोड़ टन था.


गेहूं का एमएसपी 2125 तय


गेहूं को लेकर पिछले कुछ दिनों में स्थिति चिंताजनक हो गई थी. रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य पफेक्टर के कारण घरेलू खपत की स्थिति डांवाडोल होने लगी थी. इसी कारण गेहूं की कीमतों बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. इसका असर आटे की कीमतो पर भी पड़ा. केंद्र सरकार इसी को लेकर वीकली गेहूं उत्पादन और स्टॉक की समीक्षा करती रहती है. केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने अंदेशा जताया है कि मौजूदा रबी सीजन में गेहूं सामान्य से बेहतर होगा. गेहूं की कुल बुआई सामान्य रकबा के मुकाबले दो तिहाई कंप्लीट हो चुकी है. गेहूं का समर्थन मूल्य पिछले सीजन में 2015 रुपये था. इसे बढ़ाकर 2125 रुपये कर दिया गया है. 


कीमतों पर नियंत्रण को निर्यात पर बैन


केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि गेहूं के स्टॉक को लेकर किसी भी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है. बीच में गेहूं और आटे की कीमतें बढ़ती देख केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था. इससे देश में गेहूं की कीमतों में काफी सुधार आया हैं. हालांकि गेहूं बुआई के चालू सीजन के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं. उनसे भी कापफी राहत मिलने की उम्मीद है. 


खपत के लिए विदेश से आ रही दालें


अभी दाल उत्पादन के मामले में भारत की स्थिति उतनी अच्छी नहीं हो सकी है. केंद्र सरकार साप्ताहिक समीक्षा में दाल की डिमांड और सप्लाई के आंकड़े को देख रही हैं. डिमांड सप्लाई में अंतर करीब 2 लाख टन दाल का आ रहा है यानि 25 लाख टन दाल हमें विदेश से मंगानी पड़ रही है. केंद्र सरकार की कोशिश देश में दाल उत्पादन बढ़ावा देने की है. इससे दालों के मामले में भारत की निर्भरता विदेशों पर कम हो जाएगी. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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