Wheat Cultivation: एक तरफ जहां गन्ना उत्पादन ने देश का मान बढ़ाया है इस बार देश में चीनी का रिकॉर्ड प्रोडक्शन हुआ है वही गेहूं को लेकर भी अच्छी खबर है पिछले कई वर्षों से कमी की मार झेल वह गेहूं की आवक इस सितंबर में ही 57 फीसदी तक बढ़ गई है बड़ी आवक से सरकार खुश है इससे देश में खाद्यान्न संकट भी नहीं पैदा होगा मौजूदा स्थिति को देखे तो पिछले महीने मंडियों में हुई गेहूं की आवक 2010 के बाद सबसे अधिक हुई है

2.27 मिलियन टन हुई आवककेंद्र सरकार के रिकार्ड के अनुसार गेहूं की आवक पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 1.44 मिलियन टन हुई थी, जोकि अब 57 प्रतिशत बढ़कर 2.27 मिलियन टन(एमटी) हो गई है. 

FCI का स्टॉक निचले लेवल परदेश में गेहूं के भंडारण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय खाद्य निगम ( FCI ) के पास गेहूं का स्टॉक छह साल के निचले स्तर पर आ गया. यह 24.82 मीट्रिक टन पर है. केंद्र सरकार इस आंकड़े से बेहद परेशान थी. सभी स्टेट से गेहूं के प्रोडक्शन की रिपोर्ट ली जा रही थी. जिससे देश में प्रॉपर स्टोरेज की व्यवस्था की जा सके.

तीन साल के उच्च स्तर पर आवककृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार , गेहूं की आवक 2010 के बाद सबसे अधिक है. 2010 में यह  4.38 मिलियन टन थी. सरकार ने जो आंकड़ा जुटाया है. उसके अनुसार अप्रैल से अगस्त तक गेहूं की आवक 20.90 मीट्रिक टन के तीन साल के उच्च स्तर पर है. 2019, 2020 और 2021 में गेहूं की आवक 22.95 मीट्रिक टन, 15.19 मिलियन टन और 17.51 ​​मिलियन टन रही.

Export के कारण बढ़ी कीमतेंगेहूं की कीमतें फिलहाल स्थिर चल रही हैं, क्योंकि सितंबर के पहले सप्ताह के समान ही अब 2,304.52 रुपये प्रति क्विंटल है. यूक्रेन रूस युद्ध के बीच निर्यात अधिक होने के कारण मई में कीमतें 2,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर थीं। इससे एफसीआई गेहूं की खरीद में 56 प्रतिशत की गिरावट आई , जो एक साल पहले 43.44 मिलियन टन के मुकाबले इस साल 18.9 मिलियन टन हो गई. गिरावट के चलते केंद्र सरकार ने 13 मई से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी.

गर्मी से भी झुलसा गेहूंमार्च-अप्रैल में पूरे देश में चिलचिलाती गर्मी पड़ी. इसे गेहूं बुरी तरह झुलस गया. गर्मी की लहर के कारण फसल की पैदावार में कमी के चलते गेहूं की कीमतों में भी वृद्धि हुई. कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, इस वर्ष गेहूं का उत्पादन(production of wheat in India) 106.83 मीट्रिक टन होने का अनुमान है.

ये भी पढ़ें-

Stubble Burning: केंद्र सरकार ने 600 करोड़ दिए, फिर भी इन 4 राज्यों में पराली जलाते मिले किसान, जानिए क्यों इस साल दम घोट सकता है स्मॉग

Lumpy Disease: अकेले इस स्टेट में 82 लाख पशुओं का टीकाकरण, 52 हजार अभी भी इन्फेक्टेड