Potato Farming: भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत हो रहा है. खेती-किसानी में इनोवेशन भी किए जा रहे हैं. काफी हद तक इसका श्रेय किसानों को ही जाता है, जो अपनी क्षमता से आगे बढ़कर मेहनत करते हैं और फसलों का जबरदस्त उत्पादन देते हैं. इस बीच कुछ किसानों का नाम भी हो जाता है, जिसके पीछे उनकी नई सोच होती है. उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के प्रगतिशील किसान राम शरण वर्मा भी उन्हीं किसानों में से एक हैं, जो खेती में अपना लोहा मनवा रहे हैं. वैसे तो राम शरम वर्मा अनाज, सब्जी, फल, समेत कई फसलें उगाते हैं, लेकिन उन्होंने टमाटर, केला, मेंथा और आलू की खेती में क्रांति लाने का काम किया है. इस रबी सीजन में राम शरण वर्मा की कम पानी में आलू उगाने की तकनीक खूब वायरल हो रही है. आइए जानते हैं आलू उत्पादन के क्षेत्र क्रांति लाने वाली इस नई तकनीक के बारे में.


बरसात-ओलावृष्टि से भी नहीं होता नुकसान
इन दिनों मौसम की अनिश्चितताओं से फसलों में भारी नुकसान हो रहा है. यूपी में भी कई बार पारंपरिक विधि से बोई गई आलू और गेहूं की फसलें बरसात और ओलावृष्टि से बर्बाद हो जाती हैं, लेकिन राम शरण वर्मा कुछ इस तरह आलू की खेती करते हैं कि चाहे बारिश आए या तूफान उनकी फसल पर कोई फरक नहीं पड़ता. मौसम को चकमा देने के लिए राम शरण वर्मा ने पारंपरिक खेती के बजाए एक नया आइडिया निकाल लिया है, जिसकी मदद से कई सालों तक उन्होंने आलू का सुरक्षित उत्पादन लिया है. दरअसल आलू की खेती के लिए राम शरण वर्मा कुछ बड़े आकार के बैड बनाते हैं, जिनके अगल-बगल से नालियां निकली होती है. इसका फायदा ये है कि बारिश होने पर आलू की फसल में पानी नहीं भरता और ऊंचाई पर आलू की बुवाई होने की वजह से गलन भी नहीं होती. इस तकनीक से राम शरण वर्मा ने करीब 250 से 275 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन ले रहे हैं. इस नई तकनीक का सबसे पहले प्रयोग राम शरण वर्मा ने 5 दिसंबर 2019 को किया.






इस तकनीक से करते हैं खेती
राम शरण वर्मा की सफलता का राज़ है फसल चक्र यानी बदल-बदलकर फसलें लगाना. राम शरण वर्मा अपने खेत में 14 महीने तक केला की फसल उगाने के बाद उसी खेत में 90 दिनों के लिए आलू की खेती करते हैं. आलू की फसल के बाद 120 दिनों के लिए हाइब्रिड टमाटर और टमाटर के बाद अगले 90 दिनों के लिए मेंथा की फसल लगाई जाती है. आलू उगाने के लिए कम पानी वाली तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, इसे उन्होंने 56 इंच तकनीक नाम दिया है. इस तकनीक में पानी की 30 फीसदी तक बचत होती है और 40 फीसदी अधिक उत्पादन मिलता है. इसी तरह टमाटर की खेती के लिए स्टेकिंग यानी मचान विधि का इस्तेमाल करते हैं, जिससे 30 गुना ज्यादा पैदावार मिलती है. जहां साधारण खेती से टमाटर का 200 क्विंटल प्रोडक्शन मिलता है तो वहीं स्टेकिंग विधि से राम शरण वर्मा ने 400-500 क्विंटल उत्पादन लिया है. राम शरण वर्मा कुछ समय पहले लाल केला और टिशू कल्चर से केला उगाने के लिए चर्चाओं में आए थे.


कैसे मिली सफलता
मात्र 6 एकड़ खेती के साथ कृषि क्षेत्र में कदम रखने वाले राम शरण वर्मा ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है. गरीबी की वजह से उनका करियर तो नहीं बन पाया, लेकिन तीन पीढ़ियों की खेती को आगे ले जाने का काम उन्होंने बखूबी किया है. कभी सिर्फ 6 एकड़ जमीन पर अपने पिता-दादा की तरह गेहूं, धान, गन्ने और सरसों की पारंपरिक खेती करने वाले राम शरण वर्मा आज 150 एकड़ जमीन पर कई फसलों का उत्पादन ले रहे हैं. इससे खेती की लागत कम और उत्पादन काफी बढ़ गया है. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन राम शरण वर्मा ने पारंपरिक खेती से अधिक पैदावार हासिल करने के गुर महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के प्रगतिशील किसानों और एक्सपर्ट्स से लिए है. आज राम शरण वर्मा ने अपने साथ 50,000 किसानों को भी जोड़ लिया है. आज देश-दुनिया से वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स राम शरण वर्मा के पास आकर केला, टमाटर और आलू की फसल से जुड़ी तकनीक सीख रहे हैं. खेती में इनोवेशन के साथ राम शरण वर्मा ने अपने इलाके के कई किसानों को रोजगार भी दिया है.


सरकार से मिले गई अवॉर्ड्स
कृषि के क्षेत्र में राम शरण वर्मा ने कड़ी मेहनत के बाद वो मुकाम हासिल कर लिया है, जो हर कोई करियर बनाने के बाद भी हासल नहीं कर पाते.आज राम शरण वर्मा को यूपी में हाईटेक किसान के नाम से जानते हैं. ऐसा किसान जो इनोवेशन के साथ खेती करता है और हर महीने 3 से 4 लाख रुपये कमाता है. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने राम शरण वर्मा को खेती का जादूगर नाम दिया था. किसानों के रोल मॉडल बने राम शरण वर्मा को भारत सरकार ने साल 2019 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा. इससे पहले भी राम शरण वर्मा ने राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर 20 से ज्यादा अवॉर्ड अपने नाम करवाएं है. इन अवॉर्ड्स में जगजीवन राम किसान पुरस्कार और राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार भी शामिल है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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