Vegetable Farming: आज पूरी दुनिया ने भारत के जैविक उत्पादों (Organic Products) की वैल्यू समझी है. यहां दुनियाभर के किसान और एक्सपर्ट जैविक खेती (organic Farming) की ताकत को परखने आते हैं. वैसे तो भारत के ज्यादातर राज्यों ने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती (Natural farming) को अपना लिया है, लेकिन दुनिया के पहले ऑर्गेनिक स्टेट का खिताब सिक्किम (organic State Sikkim) ने अपने नाम करवाया है. यहां के किसानों का नवाचार, जैविक उत्पाद और खेती के साथ-साथ मार्केटिंग करने का बेहतरीन तरीका ही इन्हें बाकी किसानों से काफी अलग बनाता है. इन प्रयासों के लिये राज्य के कई किसानों को सम्मानित भी किया जाता है.


इन्हीं किसानों में शामिल हैं सिक्किम की राजधानी गैंगटॉक (Gangtok) में ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वाली महिला किसान दिली माया भट्टाराई का नाम, जिन्होंने सब्जियों की जैविक खेती के साथ-साथ उसकी बेहतरीन मार्केटिंग प्रणाली के लिए साल 2021 में मेघालय का प्रगतिशील किसान पुरस्कार (Progressive Farmers Award 2021) अपने नाम करवा लिया. बता दें कि दिली माया हमेशा से जैविक खेती नहीं करती थीं और ना ही उनके पास ज्यादा जमीन थी, लेकिन 8 साल पहले कैमिकल वाली खेती को छोड़कर उन्हें ऑर्गेनिक फार्मिंग में हाथ आजमाया और आज उनके खेतों की सब्जियां देश-विदेश में भेजी जा रही है.


2014 में शुरू हुआ जैविक खेती का सफर
ये बात साल 2014 की है, जब सिक्किम में किसानों को पूरी तरह से जैविक खेती अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा था. उसी समय गैंगटॉक से 20 किमी दूर आसाम लिंज़े गांव मे खेती करने वाली दिली माया भट्टाराई भी इस अभियान से जुड़ गई. उनके पास जमीन के नाम पर सिर्फ 4 एकड़ खेत थे, इस पर भी दिली माया रसायनिक खेती कर रही थीं. फिर क्या ऑर्गेनिक फार्मिंग की हवा उनके खेतों तक भी पहुंच गई और उन्होंने अपने चार एक खेत को जैविक विधि से संवारना शुरू कर दिया.


उस समय 55 साल की दिली माया ने अपने पति के साथ मिलकर सिर्फ एक्सपेरिमेंट के तौर पर जैविक खेती की. इसके लिये वो सरकारी द्वारा आयोजित ट्रेनिंग कार्यक्रमों में भी जातीं. जब रुचि बढ़ने लगी तो जैविक खेती सीखने के लिये देश के अलग-अलग हिस्सों का रुख करना शुरू कर दिया. इस दौरान दिली माया और उनके पति जैविक खेती के साथ-साथ नई फसलों और नई तकनीकों के बारे में जानते.




पॉलीहाउस में उगाईं सब्जियां
अभी तक दिली माया और उनके पति ने जैविक खेती के लिये काफी ज्ञान हासिल कर लिया था और बस इसका परीक्षण करना बाकी था. कम जमीन ऊपर से जैविक खेती करना कोई मुश्किल काम नहीं था, लेकिन बाकी लोग वहीं खेती करके एक जैसी फसलें उगा रहे थे, इसलिये मार्केटिंग और आमदनी को लेकर कई समस्यायें खड़ी हो सकती थी. भारत में फसलों की डिमांड और खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी के लिये दिली माया ने सिक्किम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग भी ली.


फिर क्या मटर, टमाटर, मूली, धनिया जैसी पारंपरिक फसलों को छोड़कर उन्होंने नई तकनीक से नई फसलें उगाना शुरू कर दिया. अपने चार एकड़ खेत में से कुछ हिस्से पर पॉलीहाउस लगाया और ब्रोकली, लौकी,  खीरा, पालक जैसी ज्यादा डिमांड वाली सब्जियों का प्रॉडक्शन लेने लगीं. दिली माया बताती है कि बाजार में ऑर्गेनिक सब्जियों के ज्यादा अच्छे दाम मिलते हैं. हमने सिर्फ 4 एकड़ जमीन से कम समय में ही 3 से 4 गुना मुनाफा लेना शुरू कर दिया. यहां मौसम ठंडा रहता है, इसलिये बागवानी फसलों के अलावा किसी और फसल का उत्पादन लेना मुश्किल होता है. यही कारण है कि हम सब्जियों की जैविक खेती करते हैं. 


एग्रीकल्चर सोसाइटी में बेचे ऑर्गेनिक उत्पाद
भारत में ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों की डिमांड बढ़ती जा रही थी, इसलिये मार्केटिंग की समस्या नहीं आई. दिली माया ने कुछ जैविक सब्जियां लोकल मार्केट में बेची. साथ ही सिक्किम एग्रीकल्चर सोसाइटी (Sikkim Agriculture Society) में कुछ ग्राहक बना लिये. इसके बाद धीरे-धीरे खेती में नवाचार, नई तकनीक और नई फसलों का उत्पादन लेकर उन्होंने काफी नाम कमा लिया. उनकी मेहनत, जैविक खेती (Organic Farming) में सफल प्रयास और मार्केटिंग का तरीका देखकर मेघालय स्थित  ICAR-RC NEHR, Umiam ने उन्हें प्रगतिशील किसान अवॉर्ड-2021 से भी नवाजा है.


दिली माया बताती है कि उनके खेतों की ऑर्गेनिक ब्रोकली (Organic Broccoli) सबसे ज्यादा फेमस है, जिसे वो 200 रुपये किलो के भाव बेचती है. इस तरह ऑर्गेनिक सब्जियां (organic Vegetables) बेचकर उन्होंने अपनी आमदनी को तीन गुना तक बढ़ा लिया है. अब उनके पति के साथ उनका बेचा मिलु भी अपनी नौकरी छोड़कर खेती में अपने अपनी मां का हाथ बटाता है. दिली माया भट्टाराई द्वारा बनाये गये ऑर्गेनिक फार्मिंग वाले आधुनिक मॉडल (Organic Farming Model) को विशेषज्ञ भी 'काबिल ए तारीफ' बताते हैं.  


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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