Fasal Agritech Innovation: भारत में युगों-युगों से खेती-किसानी का चलन है. यहां के लहलहाते खेत और किसानों के चेहरे की मुसकान ही गांव की तरक्की को दर्शाते हैं, लेकिन अनिश्चितताओं का व्यवसाय (Agriculture in India) होने के कारण खेती में किसानों को काफी नुकसान भी झेलना पड़ जाता है. कभी बेमौसम बारिश तो कभी बारिश के बिना सूखे पड़े खेत भी किसानों को चिंता में डाल देते हैं.


इसके अलावा बदलते मौसम में कीट-रोगों का प्रकोप भी फसलों की पैदावार को काफी प्रभावित करता है. ऐसी स्थिति में किसानों को चाहिये कि आने वाली मुसीबतों के बारे में पहले से ही जानकारी या अलर्ट मिल जाये, जिससे नुकसान कम और पैदावार अच्छी हो जाये.


अब ये समाधान किसानों को फोन पर ही हासिल हो सकता है फसल- स्मार्ट फार्मिंग एप के जरिये. इस मोबाइल एपलिकेशन का इस्तेमाल करके किसानों को मौसम, मिट्टी, सिंचाई, कीट और रोगों को प्रबंधन जानकारी मिलती है, जिससे समय से कृषि कार्य किये जा सके और मौसम की खराबी से पहले ही किसान सुरक्षा के उपाय कर सकें. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence in Agriculture) पर आधारित तकनीक है, जिसे किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाल आनंद वर्मा (Anand Verma, Fasal) ने विकसित किया है. इस काम में उनके साथी शैलेंद्र तिवारी (Shailendra Tiwari, Fasal) में काफी मदद की है.


ग्रेजुएशन में की खेतों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग 
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आनंद वर्मा वाराणसी के आज़मगढ़ जिले के रहने वाले है. उनके पिता एक खेतिहर किसान है, जो काफी समय से खेती में तरह-तरह की समस्याओं से जूझते रहते थे. आनंद वर्मा भी अपने पिता और खेती से जुड़ी इन समस्याओं से वाकिफ थे. तभी तो ग्रैजुएशन के समय से ही खेतों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग पर काम करने लगे, हालांकि ये तकनीक अभी सिर्फ कागजों पर ही थी, लेकिन ग्रेजुएशन के बाद 5 साल तक आईटी इंडस्ट्री में काम करने के बाद आनंद वर्मा ने अपने इसी एग्रीटैक (Agritech Idea) आइडिया का विस्तार करने का सोचा और नौकरी छोड़कर इसी प्रोजेक्ट पर काम करने लगे. आनंद वर्मा ने अपने इस आइडिया को साकार बनाने के लिये शैलेंद्र तिवारी को भी जोड़ लिया और पहले से ज्यादा तेजी के साथ बेहतर ढंग से फसल एग्रीटैक प्रोजेक्ट पर काम करने लगे. 






कड़ी मेहनत रंग लाई
आनंद वर्मा ने अपने इस एग्रीटैक की फंडिग के लिये आईआईटी, आईटी सेक्टर के कुछ साथियों के साथ अपने भाई अर्पित को भी जोड़ा. इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करते हुये आनंद वर्मा ने 3 महीने के अंदर 6 लोगों की टीम बना ली. इसके बाद एशिया की सबसे बड़ी आर्टिफिशयल कंपनी Zeroth.ai का सहयोग मिला और फसल एग्रीटैक को करीब 120,000 डॉलर की फंडिंग मिल गई. आनंद वर्मा और शैलेंद्र तिवारी का ये एग्रीटैक स्टार्ट अप सिर्फ फंडिग से तैयार नहीं हुआ, बल्कि कंपनी के मैनेजमेंट और ऑपरेशन्स को जारी रखना भी अपने आप में चुनौतीपू्र्ण काम रहा.


धीरे-धीरे इस एग्रीटैक इनोवेशन ने  डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनर्स बनाए और कंपनी के ऑपरेशनल मैनेजमेंट के लिए प्रोडक्ट इंजीनियर्स भी रखे, जिससे धीरे-धीरे ये स्टार्ट अप किसानों के बीच फेमस होने लगा और किसान इसका लाभ उठाने लगे. बता दें कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिये मासिक सब्सक्रिप्शन भी फीस ली जाती है, जो काफी कम है. इसके अलावा फसल- स्मार्ट फार्मिंग के यूजर्स से कोई डिपोजिट नहीं लिया जाता, बल्कि सिर्फ महीने के सब्सक्रिप्शन के तौर पर ही किफायती चार्ज लिये जाते हैं.


फसल-स्मार्ट फार्मिंग तकनीक (Fasal Smart Farming Technique)
फसल एक सेंसर आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक है, जिसके सिस्टम को खेत में लगा दिया जाता है. इसके बाद यह तकनीक साल के 365 और दिन के 24 घंटे किसानों को खेती-किसानी से जुड़े अपडेट्स एक मोबाइल एप के जरिये देती रहती है. दरअसल, सेंसट आधारित (Sensor Based AI Technology-Fasal) ये तकनीक मिट्टी में नमी से लेकर मिट्टी में पोषण का स्तर, मौसम पूर्वानुमान, जलवायु परिवर्तन के कारण फसल के रोग, कीटों की संभावना का वैज्ञानिक विश्लेषण करके किसानों को मोबाइल पर अलर्ट देता है, जिससे कि किसान पहले से ही सतर्क हो जायें और फसल में बचाव के उपाय कर लें.


यह तकनीक (Agriculture Application) किसानों के अनुमान से कहीं आगे जाकर वैज्ञानिक सलाह और एडवायजरी (Agriculture Advisory) देती है, जिससे खेती-किसानी में जोखिमों को कम किया जा सके. अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल करके किसान 50% तक पानी और कीटनाशकों का खर्चा बचा रहे हैं. इससे फसलों का उत्पादन भी 40% तक बढ़ाने में मदद मिल सकती है. आज फसल- स्मार्ट फार्मिंग एग्रीटैक (Fasal- Smart Farming) का इस्तेमाल महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 44000 एकड़ जमीन पर किया जा रहा है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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