Crop Residue Management: देश में धान की कटाई के बाद पराली को निपटाना एक बड़ी चुनौतीपूर्ण काम बन जाता है. कई किसान इस पराली का सही प्रबंधन करने के बजाए जलाकर राख कर देते हैं. इससे पर्यावरण में मिट्टी और वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और लोगों की सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है. इस परेशानी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार और वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत है, जिसके बावजूद इस साल भी काफी मात्रा में पराली जलने के मामले सामने आए है. इसके सही प्रबंधन के लिए कई राज्यों में पराली को पशु चारा बनाने के लिए खरीदा जा रहा है.


पीएयू ने खोजा उपाय
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने भी पराली का सही प्रबंधन करने के लिए नया तरीका खोज निकाला है. दरअसल, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट आफ अपैरल एंड टेक्सटाइल ने पराली से नर्सरी प्लांटर्स बनाए हैं. इन प्लांटर्स की मदद से प्लास्टिक और सीमेंट के प्लांटटर्स पर निर्भरता कम होगी और पेड़-पौधे भी सही तरह से ग्रो करेंगे. एक्सपर्ट्स का मानना है कि शहरों में बड़ रहे गार्डनिंग के ट्रेंड के बीच इन नर्सरी प्लांटर्स का इस्तेमाल किचन गार्डनिंग के लिए किया जा सकता है. पराली के इन प्लांटर्स में उगने वाली सब्जियां सेहत के लिए भी फायदेमंद रहेंगी.


पराली से बनेंगे प्लांटर्स
कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि पराली से बना नर्सरी प्लांटर किसानों के साथ-साथ किचन गार्डनिंग के शौकीनों के लिए फायदेमंद है. इससे प्लास्टिक के प्लांटर्स पर निर्भरता कम होगी. इस इनवेंशन को लेकर पीएयू के डिपार्टमेंट आफ अपैरल एंड टेक्सटाइल की रिसर्च एसोसिएट डा. मनीषा सेठी बताती हैं कि आज के समय पर पेड़-पौधे लगाने का चलन बढ़ रहा है.


अभी तक लोग पौधे लगाने के लिए प्लास्टिक के प्लांटर्स का इस्तेमाल कर रहे थे. जब नर्सरी में इन प्लांटर्स को खरीदने जाते हैं तो खाद के साथ कुछ फर्टिलाइजर भी मिलते हैं, जिन्हें गमले में डालकर प्लास्टिक को कचने में फेंक दिया जाता है, इससे पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है. ऐसे में पराली से बने नर्सरी प्लांटर्स प्लास्टिक प्लांटर्स को रिप्लेस करेंगे.


इस तरह होगा इस्तेमाल
एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि सिर्फ किचन गार्डनिंग के लिए ही नहीं, पराली के इन प्लांटर्स को पौधा समेत जमीन में भी लगा सकते हैं. पूरी तरह पराली से तैयार इस प्लांटर में किसी और सामग्री का इस्तेमाल नहीं हुआ है. इसके इस्तेमाल से जमीन में भी खाद की कमी पूरी होगी और खरपतवार नहीं उगेंगे. कृषि वैज्ञानिकों ने इस प्लांटर में पौधे लगाकर ट्राइल भी किया है.


एक्सपर्ट ने इस पराली के प्लांटर की कीमत 10 से 15 रुपये बताई है. अगर इस प्लांटर को मशीन से बनाया जाए तो 2 से 3 रुपये में तैयार हो सकता है. किसान या नए युवा चाहें तो प्लांटर बनाने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग ले सकते हैं. खेती के साथ-साथ प्लांटर मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाकर इनका प्रोडक्शन कर सकते हैं और दूसरी नर्सरी को बेच सकते हैं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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