Stubble Management: पराली जलाने से एनवायरमेंट प्रदूषित होता है. जमीन की उर्वरकता भी कम होती है. पराली जलाने से बनने वाले एनवायरमेंट के सेहत पर घातक साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं. किसान पराली न जलाएं, इसके लिए सभी राज्य सरकारें कदम उठा रही हैं. स्टेट गवर्नमेंट की कोशिश है कि पराली जलाने के बजाय किसान इसे बेचकर पैसा कमाएं. इसके लिए कई सारी स्कीम भी राज्य सरकारों की ओर से लाई गई हैं. लेकिन पराली जलाने को लेकर राहत भरी खबर भी है. अधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो पराली जलाने के मामलों में कमी दर्ज की गई है.


पंजाब में 30, हरियाणा में 48 प्रतिशत कम हुए केस 
पिछले कई सालों से पराली जलाने का मामला नेशनल स्तर पर छाया रहता है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार तक पराली से स्मॉग बन जाता है. इसे लेकर राज्य सरकारें फिक्रमंद रहती हैं. स्टेट में पराली जलाने की घटनाओं को सैटेलाइट में कैद किया जा रहा है. अब इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटयूट के डाटा में सामने आया है कि वर्ष 2020 के बाद से इस साल सबसे कम पराली जलती मिली हैं. पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल की अपेक्षा 15 सितंबर से 23 नवंबर तक पंजाब में 30 प्रतिशत और हरियाणा में 48 प्रतिशत तक पराली जलाने का ग्राफ घट गया है. पराली जलाने का आंकड़ा घटने से अधिकारी खुश हैं, लेकिन उनकी कोशिश इन आंकड़ों को जीरो लाने पर है. 


इतनी जलती मिली पराली
आंकड़ों के अनुसार, 15 नवंबर से 23 नवंबर के बीच में पंजाब में अभी तक 49604 पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 2021 में यह आंकड़ा 71181 रहा. जबकि 2020 में 82693 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं. हरियाणा के आंकड़ें देखें तो 5 सितंबर से 23 नवंबर तक 3549 पराली जलाने की घटनाएं देखने को मिली हैं. पिछले साल यह आंकड़ा 6792 रहा. 2020 में 4026 संख्या थी. उत्तर प्रदेश में इस साल के इसी पीरियड में 2100 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं. 2021 में 3376, वर्ष 2020 में 3629 पराली जलाने के केस सामने आए. 


सरकारी निधि छीन रहीं राज्य सरकारें
पराली जलाने वाले किसानों से सरकारी निधियां छीनकर स्टेट गवर्नमेंट कार्रवाई का चाबुक भी चला रही हैं. हाल में उत्तर प्रदेश के देवरिया में 9 किसानों की पीएम किसान सम्मान निधि रोक दी गई है. अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ देने से वंचित करने के लिए उन्हें नोटिस जारी कर दिया है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी अधिकारियों ने ऐसा कदम उठाया है. निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि यदि कोई किसान पराली जलाता मिलें तो उसे सरकारी योजनाओं से वंचित करा दें. बिहार गवर्नमेंट ने भी ऐसे ही निर्देश दिए हैं. सरकार का एक्शन देख किसान पराली कम जला रहे हैं. हालांकि कुछ किसान अभी भी पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. यह चिंता का विषय है.


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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