Desi Remedies for Crop Management: खेती में फसल की उत्पादकता (Crop Production) बढ़ाकर कीड़े और बीमारियों का जोखिम कम करने वाले नुस्खों में केंचुआ खाद(Vermi Compost), जैविक विधि से बीज शोधन(Organic Method of Seed Treatment), पंचगव्य से कीट नियंत्रण (Organic Pest Control)और जीवामृत-घनामृत (Jeevamrit-Ghanamrit) का इस्तेमाल शामिल है. ये चीजें बिना किसी लागत के बन जाती है और फसल को अनगिनत फायदे पहुंचाती हैं. इन सभी चीजों को बनाने  के लिये गाय का गोबर (Cow Dung) प्रमुख साधन है, जिसमें 300-500 करोड़ तक सूक्ष्म जीव पाये जाते हैं. ये सूक्ष्म जीव मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने के साथ फसल को भी सेहतमंद बनाते हैं.


एक अनुमान के मुताबिक, एक देसी गाय को पालन पर 30 एकड़ जमीन पर खेती आसान हो जाती है. दूसरी तरफ बाजार में खाद, उर्वरक और कीट नाशक भी महंगे होते जा रहे हैं, जिस कारण भी किसान अब घर पर देसी खाद और उर्वरक बनाकर खेती करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.


खेती में मिलेगा केंचुओं का साथ (Vermi Compost & EarthWorms)
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर उस सेहतमंद बनाये रखने में केंचुओं का साथ किसी वरदान से कम नहीं है. ये जीव खेत में छेद करके कई जरूरी पोषक तत्वों को फसल तक पहुंचाते हैं. बता दें कि केंचुओं द्वार बनाये गये छेदो में बारिश का पानी इकट्टा हो जाता है, जिससे मिट्टी में हवा का संचार और नरमी बनी रहती है. हालांकि केमिकलों के इस्तेमाल से खेत में केचुओं की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन खेत में जैविक खाद या गोबर की खाद डालकर विलुप्त जीवों को वापस बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि खाद की शक्ति बढ़ाने में भी केचुओं काफी उपयोगी हैं, इनसे बनी वर्मी कंपोस्ट खाद की डिमांड दुनिया भर में रहती है.



बीजामृत से बीज उपचार (Organic seed Treatment by Beejamrit)
कई जैविक खेती करने वाले किसान खेत में किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं करते. बीज उपचार के लिये देसी दवा बनाई जाती है, जिसमें 5 किग्रा. देसी गाय का गोबर, 5 ली. गोमूत्र, 50 ग्रा. बुझा हुआ चूना, एक मुट्ठी खेत की मिट्टी को 20 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाया जाता है. इस घोल को बीजामृत कहते हैं, जिससे 24 घंटे बाद करीब 100 किलो बीजों का उपचार कर सकते हैं. इससे फसल में अवांछित कीड़े और बीमारियों की संभावना खत्म हो जाती है और बेहतर उत्पादन मिलता है.


पंचगव्य से कीड़े और रोगों की रोकथाम (Pest Control by Panchgavya-Organic Pesticide)
कीट-पतंगों की रोकथाम और उपज की क्वालिटी बढ़ाने के लिये प्राकृतिक खेती करने वाले किसान पंचगव्य का प्रयोग करते हैं. 



  • इस बनाने के लिये 5 किग्रा. गोबर, 500 ग्रा. देसी घी का मिश्रण बनाकर मिट्टी के बर्तन या मटके में ढंककर रख दें.

  • इस मिश्रण को 24 घंटों में 3-4 बार घुमाते रहें, जिससे ठीक प्रकार से जैविक एंजाइम्स काम कर सके.

  • मिश्रण से घी की खुशबू आने पर मिट्टी के बर्तन में 3 ली. गोमूत्र, 2 ली. गाय का दूध, 2 ली. दही, 3 ली. गुड़ का पानी और 12 पके हुए केलों को पीसकर मिला दें.

  • इस मिश्रण को बनने में 15 दिन का समय लग जाता है, इस बीच घोल को चलाते रहना चाहिये.

  • एक एकड़ खेत में इसे छिड़कने के लिये 1 ली. पंचगव्य को 50 ली. पानी मिलाकर घोल बनायें.

  • एक बार फसल के लिये पंचगव्य का मिश्रण बनाने पर अगले 6 महीने तक चलाया जा सकता है.


जीवामृत- घनामृत से बढ़ेगी पैदावार (Organic Manure & Fetilizer)
रिसर्च के मुताबिक, जीवामृत और घनामृत को सिंचाई वाले पानी के जरिये खेतों में पहुंचा सकते हैं. इसके छिड़काव से पौधों की संख्या बढ़ती है और उनका तेजी से विकास होता है. इसकी गंध से फसल में कीड़े नहीं लगते और बीमारियों की संभावना भी कम हो जाती है. वहीं फसल की पैदावार बढ़ाने में घनामृत एनर्जी बूस्टर( Energy Booster of Crop) का काम करता है. असल में घनामृत एक सूखी खाद(Dry Manure) है, जिसे बुवाई और सिंचाई के 3 दिन बाद खेत में डाला जाता है. 



  • घनामृत बनाने के लिये 100 किग्रा गोबर, 1 किग्रा. गुड़, 1 किग्रा. बेसन, 100 ग्राम खेत की मिट्टी और 5 ली. गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है.

  • इन सभी चीजों को मिलाकर मिश्रण बनायें और 48 घंटे के लिये जमीन पर फैलाकर जूट की बोरी से कवर कर दें.

  • बता दें कि एक बार घनामृत खाद बनाने पर ये अगले 6 महीने तक काम आतीहै.

  • मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिये 1 क्विंटल घानमृत को प्रति एकड़ खेत में डालना फायदेमंद रहता है.



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