Pulses Price In India: देश में गेहूं की बढ़ी कीमतों ने नाक में दम कर दिया था. गेहूं की कीमत बढ़ने का असर आटे की कीमतों पर देखने को मिला. दाल की कीमतों की तस्वीर भी काफी हद तक ऐसी ही रहती है. दाल आपूर्ति में विदेशों पर निर्भर रहने के कारण देश में दाल सस्ती नहीं हो पाती हैं. मगर अब केंद्र सरकार इसके सस्ता करने को लेकर कदम उठा रही है. केंद्र सरकार की पैरवी की वजह से ही देश में दाल के दाम कुछ स्थिर हुए तो काफी हद तक कम भी हो गए हैं.


कमेटी का हुआ गठन


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार की जानकारी में सामने आया है  कि म्यामांर दाल का बड़ा आयातक देश है और दाल आयात करने के बावजूद वहां जमाखोरी हो रही है. कीमत बढ़ने के कारण मुनाफा कमाने का खेल जारी है. इसी को देखते हुए 27 मार्च की उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राज्य सरकार के कोर्डिनेशन में इम्पोर्ट्स, मिलर्स, स्टॉकिस्ट, कारबोरियो के तुअर दाल पर नजर रखने के लिए एक कमेटी का गठन हुआ है. इसके बाद कीमतों में असर देखने को मिला है. 


घट गई दाल की कीमतें


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के कदम के बाद से दालों की कीमत में राहत देखने को मिली है. महाराष्ट्र के अकोला में तूर की थोक कीमत 3 प्रतिशत घटकर 8700 प्रति क्विंटल रह गई है. जनवरी-मार्च में थोक मिल क्वालिटी वाली तूर की कीमत में 12.1 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला था. लेकिन मौजूदा समय में राहत देख केंद्र सरकार खुश है.


अरहर की कीमत हुई स्थिर


वही मई में देश में देखे जा रहे अलनीनो का असर दाल की कीमतों पर भी देखा जा सकता है. अलनीनो प्रभाव पर अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने दालों की कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए जमाखोरी पर शिकंजा कसा है. इसका असर दाल की कीमतों पर देखने को मिला है. देश में दाल की कीमत स्थिर हो गई हैं.


 


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