Profitable Farming: हरियाणा के किसान अब आधुनिक खेती के प्रति जागरूक हो रहे हैं. किसानों को समझ आ गया है कि आय को दोगुना करने के लिए सिर्फ पारंपरिक फसलों पर निर्भरता काफी नहीं है. अच्छे मुनाफे के लिए नई तकनीकों, नए तौर-तरीकों और बागवानी फसलों की ओर रुख करने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन से बड़ेत फसल नुकसान के बीच किसान अब बागवानी में रुचि ले रहे हैं. इन फसलों से अधिक उत्पादन हासिल करने में आधुनिक तकनीकें मददगार साबित हो रही हैं. इसी प्रकार बागवानी क्षेत्र से जुड़कर अधिक आय अर्जित करने वाले किसानों में हरियाणा के चरखी दादरी में खेती करने वाले किसान बलवान सिंह का नाम भी शामिल है.


कुछ समय पहले तक बलवान सिंह पारंपरिक फसलों की ही खेती करते थे. इसी से घर खर्च निकलता था. कई बार नुकसान भी झेलना पड़ता था, लेकिन समय की मांग को देखते हुए आधुनिक खेती की ओर रुख किया. बागवानी फसलें लगाई. डेयरी फार्म खोला और आज बेहतर जीवन जी रहे हैं.


दोगुना आय के लिए बागवानी और पशुपालन


चरखी दादरी के किसान बलवान सिंह ने पारंपरिक फसलों की खेती बंद नहीं की, लेकिन बेहतर मुनाफे की तलाश में हाईटेक बागवानी की ओर रुख कर लिया. हॉर्टीकल्चर विभाग से मिली जानकारी और सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर बलवान सिंह ने अपने फार्म हाउस पर एक ग्रीन हाउस नेट लगाया है.


यहां सिंचाई के साथ-साथ जल संरक्षण के लिए फार्म पॉन्ड भी बनाया है. बिजली की खपत कम करने के लिए फार्म पर सोलर पैनल भी लगे हैं. अतिरिक्त इनकम के लिए साथ में पशुपालन भी करते हैं. बलवान सिंह का खुद का डेयरी फार्म है. पशुओं का गोबर को खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और दूध बेचकर एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है.


3-4 लाख रुपये की बचत


प्रगितशील किसान बलवान सिंह बताते हैं कि पहले गेहूं, सरसों जैसी सीजनल फसलों से कुछ खास बचत नहीं मिल रही है. खेती की लागत निकालकर हाथ में 25 से 30 हजार रुपये आते थे. धीरे-धीरे बागवानी की ओर रुख किया और पॉलीहाउस में फल-सब्जियां उगाने लगे.


बलवान सिंह ने बताया कि पॉलीहाउस ममें एक फसल की लागत 1 से 1.5 लाख रुपये आती है. यदि सब्जियों के भाव अच्छे मिल जाते हैं तो 3 से 4 लाख रुपये की बचत हो जाती है. उन्होंने बताया कि नेट हाउस में बाहर से कीट लगाने या मौसम जनित समस्याएं नहीं रहतीं.


बागवानी विभाग से मिला फुल सपोर्ट


खेती की इस हाईटेक तकनीक को अपनाने में हरियाणा बागवानी विभाग ने भी बलवान सिंह का पूरा सपोर्ट किया. प्रगतिशील किसान ने बताया कि नेटहाउस को लगाने में 25 लाख तक की लागत आती है, जिसमें 18 लाख के करीब सब्सिडी मिल जाती है.


इसके अलावा, पानी की डिग्गी यानी फार्म पॉन्ड निर्माण पर भी 100 प्रतिशत अनुदान मिला है. फिलहाल इस नेटहाउस में खीरा और अनार की बागवानी चल रही है. खीरे से बेहतर उत्पादन के लिए मचान विधि का इस्तेमाल हो रहा है.


धागे से खीरा के पौधों को सपोर्ट मिल जाता है और फलों में रोग आदि नहीं लगते. खीरे की उत्पादकता को बढ़ाने में ड्रिप इरिगेशन तकनीक का भी मेन रोल है. इससे पानी और उर्वरक सीधे पौधे की जड़ों में पहुंचते हैं और संसाधनों की बर्बादी नहीं होती. 


प्रगतिशील किसा बलवान सिंह बताते हैं कि यदि किसान को आगे तरक्की करनी है तो सिर्फ गेहूं-सरसों की खेती से काम नहीं चलेगा. अपनी जमीन के एक हिस्से पर बागवानी करनी होगी. ये फसलें कम लागत, कम मेहनत और कम समय में बढ़िया मुनाफा दे जाती हैं. 


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