Potato Price In Bihar: देश के अधिकांश हिस्सों में रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक आलू की खुदाई शुरू हो चुकी है. किसान उपज का लाभ लेने के लिए फसल बेचने के लिए मंडी का चक्कर लगा रहे हैं. कई राज्यों में अच्छी कीमत पर किसान आलू की फसल को बेच भी रहे हैं. लेकिन बिहार में किसानों को आलू बेचने में नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां किसान मंडी में आलू बेचने पहुंचते हैं, लेकिन कारोबारी किसान की ओर से तय की गई दरों से बहुत कम कीमत पर आलू खरीद रहे हैं. इससे किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. 


यूपी, पश्चिम बंगाल के आलू से हो रहा नुकसान


बिहार में आलू की उपज ठीक ठाक हुई है. लेकिन स्थानीय किसानों के साथ संकट यह है कि उनका आलू बाजार में खप नहीं रहा है. इसके पीछे वजह सामने आई है कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के आलू की वजह से स्थानीय आलू की बिक्री नहीं हो पा रही है. बिहार के आलू को खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं, इससे किसान परेशान हैं और औने पौने दामों पर आलू बेचने को मजबूर हैं. इससे उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. 


क्यों पैदा हुआ संकट?


दरअसल, इस समय बिहार की मंडियों में पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों से भी आलू की खेप पहुंच रही है. लेकिन इन सबमें पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का आलू काफी सस्ती कीमत पर मिल रहा है. बिहार की मंडियों में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का आलू प्रति क्विंटल 560 से 570 रुपये है, जबकि बिहार के आलू के भाव 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक बने हुए हैं. इन राज्यों के भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक अंतर आ रहा है. इसी कारण लोग बिहार के आलू को खरीदने में दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं. 


लागत तक नहीं निकल रही


किसानों का कहना है कि एक बोरी की उपज में 2600 रुपये तक लग गए हैं, जबकि लागत महज 2400 रुपये तक ही निकल पा रही है. हर बोरी पर 200 रुपये का नुकसान हो रहा है. लागत और बिक्री में इतना अंतर होने के कारण किसान खर्चा तक नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि यदि स्थानीय आलू का भाव नहीं बढ़ा तो प्रति क्विंटल बहुत अधिक नुकसान होगा. 


कोल्ड स्टोरेज का खर्च भी नहीं निकल रहा


जानकारों का कहना है कि बिहार में आलू की कीमत का आलम यह है कि किसान कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का खर्चा तक वहन नहीं कर सकते हैं. एक क्विंटल आलू रखने में कोल्ड स्टोरेज का किराया 280 रुपये प्रति क्विंटल है. बिहार शरीफ में कोल्ड स्टोरेज की संख्या 13 है. आलू रखने की इनकी क्षमता 15 लाख क्विंटल है. लेकिन किसानों के आलू कोल्ड स्टोरेज में न रख पाने के कारण ये कोल्डस्टोरेज खाली पड़े हुए हैं. कोल्ड स्टोरेज संचालकों को भी खासा नुकसान हो रहा है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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