Reason behind Organic Vegetables are Expensive: भारत में ज्यादातर किसान अब पर्यावरण अनुकूल जैविक खेती(Eco Friendly Organic Frming) पर जोर दे रहे हैं, जिसमें रसायनों का इस्तेमाल नहीं जाता, बल्कि खेती के लागत को कम करने के लिये जैविक खाद (Organic Fertilizer), जैविक कीटनाशक (Organic Pesticides) और श्रम आधारित खेती (Labor Based Farming) पर जोर दिया जाता है. इस प्रकार खेती करने से किसानों को उपज के अच्छे दाम मिल जाते हैं और पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) में भी मदद मिलती है. यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों को जैविक खेती (Organic Farming in India) के प्रति प्रोत्साहित कर रही है. 


अब किसानों को तो उपज का सही दाम मिल जाता है, लेकिन ग्राहकों की एक शिकायत होती है कि कम लागत के बावजूद ऑर्गेनिक सब्जियां (Organic Vegetables) महंगी क्यों बेची जाती है और ये सामान्य सब्जियों से किस प्रकार अलग होती है. इन सवालों का जवाब से पहले यह जानना जरूरी है कि ऑर्गेनिक खेती कैसे की जाती है. इसके अलावा साधारण और ऑर्गेनिक सब्जियों में क्या अंतर होता है.




कैसे की जाती है जैविक खेती? (Process of Organic farming)
हर तरह की फसल की जैविक खेती करने के लिये गोबर मुख्य साधन के रूप में काम करता है, जिससे गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, फसलों के अपशिष्ट से बनी हुई खाद, खेती से पहले ढेंचा और सनई उगाकर हरी खाद बनाना आदि शामिल है. 



  • जैविक खेती करते समय रासायनों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि खादों की इतनी वैरायटी को मिट्टी में मिलाने पर फसल को अपने आप पोषण मिल जाता है. 

  • जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता तो बढती ही है, साथ इससे उपजे प्रॉडक्ट्स का सेवन करने शरीर भी स्वस्थ रहता है, जो साधारण फल-सब्जियों से मुमकिन नहीं हो पाता. 

  • ये जैविक खाद ही तो है, जिसकी मदद से मिट्टी और फसलों को प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम और एक्टीनोमाइसिट्स समेत जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं. 

  • यही कारण है कि साधारण के मुकाबले ऑर्गेनिक फल, सब्जी, अनाज, मसालों या किसी भी कृषि उत्पाद में अलग ही स्वाद होता है. 




जैविक कीटनाशकों का प्रयोग (Organic Pesticides for Organic Farming) 
जैविक खेती करते समय फसलों का संरक्षण करना भी आसान नहीं होता, क्योंकि रासायनिक कीटनाशकों के बिना ही कीट-रोग नियंत्रण के कार्य करने होते हैं. हर फसल की तरह जैविक खेती से पैदा होने वाली फसल में कीट-रोग की संभावना रहती ही है, जिसे कंट्रोल करने के लिये नीम से बने कीटनाशक, नीमास्त्र, गोमूत्र से बना कीटनाशक, नीम का तेल और गौमूत्र से बने कीटनाशक, जीवामृत, बीजमृत जैसी कई जैविक दवाओं को बनाकर छिड़काव किया जाता है. इन जैविक दवाओं को बनाने में भी समय और श्रम की अच्छी-खासी खपत होती है.




किसानों की बढ़ती है मेहनत (Farmers' Hard Work Increases in Organic Farming)
जाहिर है कि जैविक खेती करते समय जैविक खाद और कीटनाशकों का ही प्रयोग होता है, जिनकी व्यवस्था काफी दिन पहले ही करनी होती है. इन्हें बनाने में भी किसानों को काफी समय चला जाता है. इसके अलावा, खेती में कीट-रोग या दूसरे जोखिमों को कम करने के लिये भी खेती से पहले ही इंतजाम करना होता है, ताकि बाद में फसल को नुकसान ना हो.


इतना ही नहीं जैविक खेती करते समय फसल में बीमारियों और पोषण की निरंतर निगरानी करनी होती, क्योंकि कमी और लक्षण सामने आने में काफी समय लग जाता है, जिससे फसलों के प्रबंधन में परेशानियां हो सकती हैं.


आर्गेनिक सब्जियों के फायदे (Benefits of Organic Products) 
जैविक विधि से उगे फल, सब्जी और अनाजों में विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन जैसे जरूरी तत्व मौजूद होते हैं, जो एक सेहतमंद शरीर के लिये अनिवार्य है. इनके सेवन से वजन कंट्रोल करना आसान होता है, साथ ही दिल की बीमारियों, ब्लड प्रेशर की समस्या, माइग्रेन, मधुमेह और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों की संभावनायें भी काफी हद कम हो जाती है.


साधारण या रासायानिक विधि से उगे कृषि उत्पादों से ये सभी फायदे मिलना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि रासायानिक खाद और उर्वरकों से उपज की क्वालिटी पर भी बुरा असर पड़ता है, लेकिन जैव पदार्थों के इस्तेमाल से उपजे कृषि उत्पादों से सिर्फ फायदे ही फायदे मिलते हैं.


क्यों मंहगी होती हैं ऑर्गेनिक सब्जियां (Why Organic Vegetables are Expensive)
बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग (Demand of Organic Products) काफी ज्यादा है, लेकिन जैविक खेती करने से सिर्फ उपज की क्वालिटी ही बढ़ा सकते हैं. रिसर्च की मानें तो जैविक खेती (Organic Farming) के जरिये उत्पादन बढ़ाने में काफी समय लगता है, जिसके लिये किसानों को सालोंसाल जैविक खेती से जुड़ा रहना पड़ता है, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़ती रहे और फसलों को सही पोषण मिल सके. 



  • वैसे तो जैविक खाद, जैविक, उर्वरक और कीटनाशकों से फसलों का संरक्षण और विकास बेहतर ढंग से होता है, लेकिन यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है.

  • बाजार मांग के मुकाबले ऑर्गेनिक सब्जियां (Organic Vegetables) और दूसरे कृषि उत्पादों की पैदावार तो कम है ही, साथ इनका सर्टिफिकेशन (Organic Certification) भी महंगा होता है. 

  • लगातर बढ़ती मांग और कम आपूर्ति के बीच किसानों की जी-तोड़ मेहनत के कारण ही बाजार में जैविक उत्पाद पहुंच पाते हैं. इसी सब्र की अहमियत समझते हुये ज्यादातर लोग ऑर्गेनिक सब्जियों की अधिक कीमतों के बावजूद किसानों तो प्रोत्साहित करते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Nursery Management: खेतों से मिलेगा बंपर उत्पादन, इन सावधानियों के साथ तैयार करें सब्जियों की नर्सरी


Crop Cycle in India: अगली फसल कौन सी लगायें! कम जोखिम में अधिक उत्पादन के लिये फसल चक्र के अनुसार करें खेती