Mushroom Farming In India: बिहार में काफी संख्या में किसान मशरूम की खेती करते हैं. झोपड़ी में मशरूम उगाकर किसान लाखों रुपये कमाते हैं. झोपड़ी को मशरूम हट का नाम दिया जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी सूझबूझ से मशरूम की खेती की जाए तो यह बेहद मुनाफे का सौदा वाली फसल है. बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों में लोग मशरूम की खेती कर रहे हैं. मशरूम की खेती कर किसान कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में भी महिला, पुरुष किसान मशरूम की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं. 


UP के प्रतापगढ़ में पति-पत्नी कर रहे मशरूम की खेती
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ स्थित बेल्हा में कंचन सिंह अपनीे पति रवि प्रताप सिंह के साथ मिलकर मशरूम की खेती कर रहे हैं. खेती से जहां कंचन की लाखों रुपये की कमाई होने लगी है. वहीं उन्होंने 55 लोगों को रोजगार भी दिया है. 


उत्तराखंड में फसल देख आया आइडिया
कंचन सिंह का मुरब्बा कैंडी बनाने का प्लांट है. वह पति रवि प्रताप सिंह के साथ मिलकर इस प्लांट को चलाती हैं. करीब एक साल पहले कंचन सिंह अपने पति के साथ उत्तराखंड गईं. वहां उन्होंने मशरूम की खेती देखी. किसानों से जानकारी लेने पर उन्होंने मशरूम को मुनाफे का सौदा बताया. इसके बाद कंचन ने मशरूम की खेती करने की प्लानिंग शुरू कर दी.


55 लाख का प्रोजेक्ट तैयार किया
उत्तराखंड में मशरूम की खेती की जानकारी लेने के बाद जिले के उद्यान विभाग के अफसरों से संपर्क किया. मशरूम की खेती करने के लिए कंचन ने 55 लाख रुपये का प्रोजेक्ट तैयार कर लिया. अब सबसे बड़ी समस्या बजट की सामने आई तो उन्होंने एक बैंक से लोन लेने की योजना बनाई. बैंक से करीब 22 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हुआ. इसमें उन्हें 22 प्रतिशत की छूट भी मिली. 


कई जिलों मेें कर रहे मशरूम की सप्लाई
कंचन की मशरूम अब प्रदेश के कई जिलों में जाने लगी है. लखनऊ, बनारस, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, जौनपुर सहित कई जिलों में मशरूम की सप्लाई की जा रही है. इसकी कीमत 100-150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से होती है. मशरूम की सुरक्षित रखने के लिए एसी प्लांट भी लगा लिया है. इसमें करीब 55 लोग काम भी कर रहे हैं. 


30 दिन में बिक्री लायक हो जाती है मशरूम
खाद का सही ढंग से प्रयोग करने में मशरूम की खेती तैयार होने में 30 दिन लग जाते हैं. इतने दिनों में यह बिक्री लायक हो जाती है. इसे निकालकर बिक्री के लिए पैकेजिंग कर दी जाती है. बाद में इसे बाजार में बेच दिया जाता है. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें:- हरियाणा के किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रही ये 5 योजनाएं, आप भी ले सकते हैं लाभ