Subsidy on Goat: बकरियों को गरीब की गाय भी कहते हैं, जो लोग गाय-भैंस जैसे बड़े दुधारु पशु पालने में सक्षम नहीं है, वो बकरी पालन करके अपनी आजीविका चला रहे हैं. बाजार में बकरियों के दूध और मीट की काफी डिमांड रहती है. इसके दूध में कई पोषक तत्व और औषधीय गुण भी होते हैं. सर्दियों के समय बुखार-ताप, सर्दी-जुकाम और डेंगू बीमारी होने पर बकरी के दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है. पिछले कुछ सालों में बकरी फार्म का यह बिजनेस भी फायदे का सौदा बनकर सामने आया है. आज बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन, पशु किसान क्रेडिट कार्ड और पशुधन बीमा योजना के तहत बकरी पालन के लिए आर्थिक और तकनीकी मदद दी जाती है. राज्य सरकारें भी अपने लेवल पर तमाम योजनाएं चलाती हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने भी देसी नस्ल की बकरियों में सुधार और विस्तार के लिए 'नर बकरा प्रदाय योजना' चलाई है, जिसके तहत बकरी पालकों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इससे बकरी पालकों को अपना बिजनेस बढ़ाने में भी खास मदद मिलेगी

देसी नस्ल की बकरियों में सुधारमध्य प्रदेश में अब देसी नस्ल की बकरी पालन के लिए अनुदानित दरों पर जमनापारी,  बारबरी और सिरोही नस्ल का बकरा दिया जा रहा है. यदि आप भी बकरी पालन करते हैं तो 25 प्रतिशत पैसा देकर देसी बकरा खरीद सकते हैं. नर बकरा प्रदाय योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.

इस योजना के तहत गरीब, छोटे और भूमिहीन किसान-पशुपालकों और बेरोजगारों को जोड़ा गया है. नियमों के अनुसार, जो लोग पहले से ही बकरी पालन करते हैं, उन्हें ही देसी नस्ल के बकरे की खरीद पर अनुदान दिया जाना है, जिससे बकरी फार्म में बकरियों का कुनबा बढ़ाया जा सके. इससे पशुपालकों की आय बढ़ाने में भी खास मदद मिलेगी.

यहां करें आवेदननर बकरा प्रदाय योजना में आवेदन करने पर सिर्फ मध्य प्रदेश के निवासी किसान या पशुपालकों को ही 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. इस स्कीम का लाभ लेने के लिए अपने जिले के नजदीकी पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु औषधालय के प्रभारी/ उपसंचालक और पशु चिकित्सा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.

देसी नस्लों को मिलेगा बढ़ावादेश में देसी नस्ल के पशुओं के सरंक्षण और संवर्धन का काम किया जा रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन से लेकर कई योजनाओं के जरिए किसान और पशुपालकों को देसी नस्ल की गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, सुअर, ऊंट आदि पालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

इस उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारें आर्थिक अनुदान और तकनीकी सहायता भी दे रही हैं, ताकि पशुपालन की शुरुआती लागत को  बोझ ना पड़े और देश में देसी नस्ल के पशुधन की संख्या बढ़ाई जा सके. मध्य प्रदेश सरकार की नर बकरा प्रदाय योजना का भी यही उद्देश्य है.

इस स्कीम से राज्य में देसी नस्ल की बकरियों की संख्या बढ़ेगी, बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और गरीबों को आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो पाएगी.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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