Tree Plantation: दुनियाभर में पेड़ों की खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. ये पर्यावरण संरक्षण में अहम रोल अदा करते हैं. मिट्टी की बांधे रखने और भूजल स्तर को बेहतर बनाने में भी पेड़ों की बड़ी भूमिका है. फर्नीचर और औषधीयों के लिए पेड़ों की खेती का चलन बढ़ रहा है. कुछ पेड़ों की लकड़ी के साथ-साथ फल, पत्ती, छाल और जड़ों में भी औषधीय गुण होते हैं, इसलिए बाजार में इनकी अच्छी खासी कीमत मिल जाती है. 


चंदन


चंदन के औषधी गुणों से भला कौन वाकिफ नहीं होगा.देश-विदेश में सफेद और लाल चंदन की काफी मांग है, लेकिन मांग के हिसाब से उत्पादन नहीं है, क्योंकि चंदन के पेड़ को तैयार होने में भी कई साल लग जाते हैं. इससे ब्यूटी प्रोडक्ट्स, परफ्यूम से लेकर शराब, साबुन और ना जाने कितनी चीजें बनाई जाती है. यही वजह है कि सफेद और लाल चंदन दोनों ही करोड़ों की कीमत पर बिकते हैं.


महोगनी


अगर किसान धैर्यवान हो तो महोगनी की खेती से करोडों की कमाई कर सकता है. इस पेड़ के बीज से लेकर छाल, लकड़ी और पत्तियां अच्छे दाम पर बिकते हैं, लेकिन ये पेड़ 12 साल में तैयार होता है. इसके बीज 1,000 रुपये किलो, लकड़ी 2000-2200 रुपये क्यूबिक फीट और औषधीय गुणों वाली फूल, पत्ती, छाल भी ऊंचे दाम पर बिकती है. इसकी खेती से 1 करोड़ तक कमा सकते हैं.


नीम


नीम का औषधीय महत्व समझ लें तो ये कलयुग की संजीवनी है. बेशक नीम हर गली नुक्कड़ पर मिल जाती है, लेकिन इसके फायदे को जानते हुए भी लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते. एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों वाली नीम की पत्ती, निबौरी, छाल और लकड़ी से बनते हैं और बाजार में काफी महंगे बिकते हैं. इसकी अहमियत समझकर लोग मालाबार नीम की खेती में रुचि ले रहे हैं.


दालचीनी


रसोई के सबसे पंसदीदा मसालों में से एक दालचीनी अपने आप में एक औषधी है. दालचीनी पेड़ की छाल को मसाले के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. दक्षिण भारत में दालचीनी की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. यहां इससे मसाला, पाउडर, ब्यूटी और हेल्थ प्रोडक्ट और तेल निकाला जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालचीनी का कारोबार करोड़ों का है.


आम


आम का स्वाद तो आपने खूब चखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी पत्ती और लकड़ी की भी बाजार में काफी मांग है.आम की लकड़ी से सारे बैक्टीरिया दूर हो जाते हैं. भारत में हवन पूजा या शुभ कार्यों में आम के पत्ते और लकड़ी का इस्तेमाल होता है. इसकी लकड़ी बैक्टीरिया नाशक है. यही वजह है कि पूरे साल इसकी मांग रहती है.


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