मोटा अनाज के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार गंभीर है. वर्ष 2023 विश्व में मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. भारत सरकार ने ही यूनाइटेड नेशन में वर्ष 2023 को मिलेट ईयर के रूप में पेश किया था. इसी को लेकर देश के प्रत्येक राज्य में मोटा अनाज को बढ़ावा देने के लिए कवायद जारी है. केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य में मोटा अनाज के रकबे और उपज को लेकर लगातार आंकड़ा जुटा रही है. इसी कड़ी में दिल्ली के एम्स में मोटा अनाज प्रोत्साहन को बड़ी पहल की गई है. 


एम्स में खुलेगी मिलेट कैंटीन 
केंद्र सरकार के निर्देश पर नई दिल्ली एम्स में मिलेट कैंटीन स्थापित की जा रही है. इसे अस्पताल में केंद्रीय कैफेटेरिया की दूसरी मंजिल पर बनाया जाएगा. यह कैंटीन दिन के 24 घंटे, सप्ताह के सातों दिन खुली रहेगी और 1 मार्च, 2023 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी. इसका लाभ अस्पताल के स्टाफ को तो मिलेगा ही. भविष्य में इसे मरीज और तीमारदारों के लिए भी शुरू किया जा सकता है. 


12.5 मिलियन हेक्टेयर में हो रही मोटा अनाज की खेती
देश के लगभग 12.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में मिलेट की खेती की जा रही है. वैश्विक उत्पादन में 15 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के साथ भारत बाजरा उत्पादन में शीर्ष देशों में शुमार है. देश में यदि प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्यों की बात करें तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी बाजरा का उत्पादन किया जाता है. 


असम में शुरू हुआ बाजरा कैफे
आमलोगों में बाजरा की खपत बढ़ाने की पहल असम सरकार ने भी की है. असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने 1 फरवरी को गुवाहाटी में जनता भवन के परिसर में बाजरा कैफे का उद्घाटन कर दिया है. मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा कि कैफे की स्थापना बाजरा की लोकप्रियता बढ़ाने और जनता भवन के कर्मचारियों के पोषण संबंधी मांग को पूरा करेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि बाजरा उच्च प्रोटीन, फाइबर, आवश्यक विटामिन और खनिजों को लेकर जाना जाता है. 


 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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