Crop Loss in Rain: महीनेभर से चल रही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने रबी फसलों में भारी नुकसान किया है. उत्तर और मध्य भारत में अभी-भी बारिश का सिलसिला थमा नहीं है. पहाड़ी इलाकों में भी मौसम का रुख साफ नहीं है, इसलिए किसान भी खेतों मे बिछी फसलें नहीं समेट पा रहे. एक तरफ अनाज की क्वालिटी गिरती जा रही है. दूसरी तरफ फलों के बागों में भी फ्लावरिंग प्रभावित हो रही है. यूपी में कई जगह आम के छोटे फल गिरकर नष्ट हो चुके हैं. बारिश की चाल से जो हालत मैदानी इलाकों में किसानों की थी. वही अब उत्तराखंड समेत पहाड़ी इलाकों की है. मंगलवार को पहाड़ी इलाकों में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने भी आम, लीची और सेब के बागों में तबाही मचाई है. इस घटना से निराश नैनीताल और हलद्वानी के बागवान-किसानों ने सरकार ने मुआवजे की मांग की है.  


सुरक्षात्मक उपायों के बावजूद नहीं बच पाए बागान


मौसम विभाग की चेतावनी के बाद उत्तराखंड के फल बागवानों ने हर तरह के सुरक्षात्मक उपाय किए. सेब के बागों को बारिश से होने वाले नुकसानों से बचाने के लिए हेमनेट आदि का भी इंतजामात किए, लेकिन ओलावृष्टि के आगे हेलनेट जैसे सेफ्टी नेट भी नहीं टिक पाए, जिसके चलते बागों में चल ही फ्लावरिंग की प्रोसेस भी काफी प्रभावित हुई है. यदि मौसम के हालात इसी तरह से कायम रहे तो सेब के साथ-साथ लीची और आम के बागों में घाटा चला जाएगा. 


8 अप्रैल तक नहीं सुधरेंगे हालात


कम ऊंचाई वाले इलाकों में भी तापमान में गिरावट आने से बादाम, खुबानी, अंजीर, स्टोन फ्रूट पर बुरा असर पड़ सकता है. फिल्हाल बागवानों को यही उम्मीद है कि मौसम साफ रहे, ताकि इन फलों के बागों में ठीक तरह सेटिंग हो जाए. एक बार फलों का विकास अगले चरण में पहुंच जाए तो नुकसान को कम किया जा सकता है. लेकिन मौसम में तेजी से हो रहे अनिश्चित बदलावों से आने वाले दिनों में भी किसानों को निराशा झेलनी पड़ सकती है. मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, एक नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण 8 अप्रैल तक ऐसे ही हालात बने रहने की संभावना है. 


तापमान में गिरावट से धीमी हुई फल पकने की प्रोसेस


बागवानी विशेषज्ञों ने बताया कि फरवरी में अचानक तापमान बढ़ने से सेब के बागों में नमी की मात्रा काफी कम हो गई थी, लेकिन मार्च के अंत में अचानक तापमान बदलने से बागों में जल भराव होता जा रहा है. पहाड़ों में भी अचानक तापमान गिरने से सेबों के पौधों में चल रही पिंक बड स्टेज और फ्लावरिंग प्रभावित हो रही है. फूल ठीक नहीं खिल पा रहे. वहीं तेज बारिश के कारण मधुमक्खियां भी परागण की प्रक्रिया के लिए छत्तों से नहीं निकल रही हैं. इन सभी परिस्थितियों का सीधा असर सेब की गुणवत्ता पर पड़ेगा और बाजार में सही दाम नहीं मिल पाने के चलते बागवानों को नुकसान हो  सकता है. 


यह भी पढ़ें:- बारिश में बर्बाद गेहूं की फसल खरीद भी ले सरकार तो उसका करेगी क्या? क्या खाने के काम आ सकता है ऐसा गेहूं?