Jharkhand's Nature Grown Mushroom with Medicinal Properties: मटन और शाकाहारी, दोनों का दूर-दूर तक कोई मेल नहीं है, लेकिन भारत में कई ऐसी सब्जियां हैं, जो मटन के जितना पोषण देती है. अभी तक इस सूची में कटहल (Jackfruit) का नाम शामिल था, लेकिन झारखंड(Jharkhand)  में उगाने वाला रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) कुछ ऐसी ही शानदार सब्जी या फल में शामिल है. जानकारी के लिये बता दें कि रुगड़ा मशरूम का उत्पादन पूरी तरह प्राकृतिक तरीके (Natural Mushroom)से होता है. यही कारण है कि इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है. छोटे आलू की तरह दिखने वाले वाला ये मशरूम सिर्फ बरसात के दिनों में ही मिलता है, जिसे ढूंढकर बेचना आदिवासी किसानों के लिये रोजी रोटी का काम बन चुका है. रुगड़ा मौजूद में मौजूद औषधीय गुणों (Mushroom with Medicinal Properties)के कारण दुनिया भर में इसकी मांग बनी रहती है.


रुगड़ा मशरूम की खासियत (Specialities of Rugda Mushroom)
बता दें कि रुगड़ा मशरूम को झारखंड का गुच्छी मशरूम (Gucchi Mushroom) भी कहते हैं, क्योंकि गुच्छी मशरूम की तरह ये भी प्रकृति की गोद में उगता है और साल में एक ही बार इसके फल मिल पाते हैं.





  • आदिवासी समाज (Tribal Farmers) के लोग इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी करते हैं और इसे ढूंढने के लिये समूह बनाकर जंगलों में घूमते हैं.

  • जहां झारखंड के लोग इसे भूमिगत मशरूम के नाम भी जानते हैं, क्योंकि मशरूम की ज्यादातर वैरायटी को जमीन के ऊपर उगती है, लेकिन ये जमीन के अंदर पैदा होता है.

  • इसका वैज्ञानिक नाम लिपोन क्षमा है, लेकिन दुनिया भर में इसे पफ वाल्व, पुतो और पुटकल के नाम से भी जानते हैं.

  • झारखंड के अलावा रुगड़ा मशरूम उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के जंगलों में उगता है.

  • रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) एक वैश्विक मशरूम (Universal Mushroom)  है, जिसकी 12 किस्में पाई जाती है, जिसमें सफेद रंग का रुगड़ा मशरूम सबसे ज्यादा सेहतमंद होता है.

  • इसमें गजब की रोग प्रतिरोधक क्षमता मौजूद होती है, जो अस्थमा, स्किन इंफेक्शन, कब्ज से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों में संजीवनी का काम करती है. 

  • इसमें हाई फाइबर और प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन बी 12, विटामिन डी, फोलिक एसिड के अलावा लवण, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा और

  • राइबोलोन, थायमिन जैसे पोषक तत्व भी पाये जाते हैं. 

  • आलू की तरह दिखने वाले इस नेचुरल मशरूम में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण भी काफी डिमांड होती है.


रुगड़ा मशरूम से आमदनी (Income from Rugda Mushroom) 
औषधीय गुणों से भरपूर रुगड़ा मशरूम दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना चुका है. खासकर झारखंड के आदिवासी लोग इसका ज़ायका लेने के लिये मानसून की बारिश का इंतजाम करते हैं. वैसे तो क्षेत्रीय मशरूम होने के कारण इसकी सबसे ज्यादा खपत झारखंड में होती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसे 500-2000 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचा जाता है. इससे झारखंड के आदिवासी समाज के लोगों को ज्यादा पैसा कमाने में काफी मदद मिलती है. 




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