Arhar Crop Management: भारत को दलहन उत्पादन (Pulses Production) में आत्मनिर्भर बनाने की कवायद की जा रही है, लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं के बीच खेती करना और दालों का उत्पादन लेना ही मुश्किल होता जा रहा है. एक तरफ जहां सूखा के कारण इस साल दलहनी फसलों का रकबा काफी घट गया है तो वहीं तेज बारिश के कारण खेतों में खड़ी दलहनी फसलों को बचा पाना मुश्किल होता जा रहा है.


इसी के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. पिछले दिनों सोयाबीन की फसल में पीला मोजैक रोग (Yellow Mosaic in Soybean Crop) के चलते ही किसानों की हालत दयनीय हो गई, इसलिये किसानों को अब अरहर और दूसरी सब्जी फसलों में सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है, ताकि फसल में जोखिम की संभावनाओं को कम किया जा सके. 


खरपतवार नियंत्रण
जाहिर है कि खरीफ सीजन (Kharif Season 2022) की बुवाई के लिये ज्यादातर किसानों ने अपने खेतों में अरहर की फसल लगाई है, लेकिन बढ़ते कीट-रोग की संभावनाओं को देखते हुये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अरहर के फसल प्रबंधन को लेकर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है. 



  • इस मामले में पूसा संस्थान (Pusa Institute) के सस्य विज्ञान संभाग के वैज्ञानिक डॉ राज सिंह बताते हैं कि इस समय अरहर की फसल (Arhar Crop Management)  में खरपतवारों उगने लगते हैं. इनमें मोथा घास जैसी खरपतवार तेजी से बढ़ती है. 

  • इस खरपतवार की जड़ों में गांठ होती है, जो खरपतवारों को काटने पर मिट्टी में ही रह जाती है और दोबारा खरपतवार उगा जाता है. 

  • इसके अलावा खरपतवारों के वैज्ञानिक नियंत्रण के लिये खरपतवार नाशी दवा का छिड़काव करना ही असरकारी होती है. 

  • नुकीली पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिये पेंडीमेथिलीन या मेट्रिबुजिन की 250 ग्राम मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर को छिड़कना फायदेमंद रहता है. 


निराई-गुड़ाई करें
अरहर की फसल में खरपतवारों की रोकथाम (Weed Management in Tur) के लिये बुवाई के 30 दिनों बाद ही निराई-गुड़ाई का काम शुरू कर देना चाहिये, जिससे खेत में लगने वाले खरपतवारों की संभावनायें कम हो जाती है. इसके लिये खरपतवारों को जड़ समेत उखाड़कर खेत के बाहर फेंक देना चाहिये. इसके अलावा, फसलों की बुवाई से पहले ही मिट्टी में खरपतवार नाशी दवा मिला देनी चाहिये, क्योंकि बाद में इन दवाओं का इस्तेमाल फसल की सेहत के लिये ठीक नहीं रहता. इसके अलावा खेत में जल निकासी का प्रबंध भी कर लें, जिससे फसलों में बारिश के पानी का जमाव ना हो, इससे जड़ गलन या सड़न पैदा हो सकती है. 


सब्जी फसलों में प्रबंधन
तेज बारिश के बीच बागवानी फसलों की देखभाल करना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि इस समय फसल में दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसकी रोकथाम के लिये लगातार निगरानी करते रहें. सब्जी फसल में दीमक के लक्षण भी दिख जायें तो क्लोरपाइरीफांस 20 ई सी की 4.0 मिली मात्रा को 1 लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के पानी में मिला दें. इस समय सब्जियों की फसल में सफेद मक्खी या चूसक कीटों की संभावना भी बढ़ जाती है. इसकी रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिड की 1.0 मिली मात्रा को 3 लीटर पानी में घोलकर (Pesticide in Vegetable crop) आसमान साफ होने पर छिड़कें. 



  • किसान चाहें तो खेत में प्रकाश प्रपंच यानी लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं, जिससे रातोंरात कीट-पतंगों  का सफाया हो जायेगा.

  • कम लागत का लाइट ट्रैप (Light Trap) लगाने के लिये एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बर्तन में कीटनाशक का घोल मिलायें. इसके बाद टब के ऊपर स्टैंड बनाकर बल्ब लगायें और खेतों के बीच में रख दें.

  • इस तरह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीट लाइट से आकर्षित होकर टब में गिर जायेंगे और वहीं नष्ट (Pest Control in Vegetable Crop) हो जायेंगे.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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