Crop Management for Stray Animals: किसानों को आज भी कई कारणों से फसलों में नुकसान झेलना पड़ जाता है. आवारा पशुओं का आतंक इन्हीं कारणों में से एक है. आवारा-छुट्टा पशुओं का आतंक (Stray Animals Problem in Crop) उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से लेकर बुंदेलखंड और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है.


इनकी रोकथाम के लिये खेतों के चारों तरफ बाड़बंदी (Bio Fencing) तो की जाती है, लेकिन इसकी लागत इतनी ज्यादा होती है कि किसानों को अपनी कुछ जमीन तक बेचनी पड़ जाती है. इसकी रोकथाम के लिये कुछ किसान कैक्टस की बाड़बंदी (Bio Fencinf og Cactus) जैसे जैविक सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन इनसे पशुओं को नुकसान की संभावना भी रहती है.


इन्हीं समस्याों के मद्देनजर तमिलनाडु की एक स्टार्टअप कंपनी ने बायो-लिक्विड स्प्रे (Bio Liquid Spray)  ईजाद किया है. ये बायो-स्प्रे पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक उत्पादों से बना है, जिसका फसल पर छिड़काव करने पर आवारा-छुट्टा पशु और जंगली जानवर अब खेतों के आस-पास भी नहीं फटकेंगे. यह उत्पाद तमिलनाडु की MIVIPRO नामक स्टार्टअप ने विकसित किया है, जिसे तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर (TNAU)से परीक्षण और मान्यता मिली है.


पशुओं के साथ-साथ कीटों का सफाया
इन दिनों हर्बोलिव+ बायो स्प्रे का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा किया जा रहा है. यह स्प्रे पूरी तरह से प्राकृतिक और जैविक उत्पादों से निर्मित है, जिसके छिड़काव से फसलों पर कोई गलत असर नहीं पडेगा, बल्कि ये जैविक स्प्रे छिड़कने पर फसल से कीडे़- मकौडे भी भाग खड़े होंगे और कवक रोगों की संभावना भी कम हो जायेगी. दरअसल हर्बोलिव+ बायो स्प्रे छिड़कने पर फसल की खुशबू धीमी या कम हो जाती है, जिससे पशु आकर्षित नहीं होते. इससे फसलों की गुणवत्ता को कायम रहती ही है, साथ ही जंगली जानवर भी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते.


रिपोर्ट्स की मानें तो हर्बोलिव+ बायो स्प्रे का छिड़काव करने पर फसलों की जैविक प्रकृति कायम रहती है. इससे कीट-रोग और पशुओं का जैविक नियंत्रण होता है. इतना ही नहीं, इसके छिड़काव से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति, उपज की क्वालिटी और स्वाद में सुधार देखा गया है. किसानों को ड्रोन की मदद से इसका ट्राइल दिया जाता है. अगर किसानों को इसका ट्राइल पंसद आता है तो वे स्प्रे मशीन के साथ भी फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.




इस तरह होता है छिड़काव
रिपोर्ट्स की मानें तो फसल प्रबंधन के लिये हर्बोलिव स्प्रे एक ऑल आउट की तरह काम करता है, जिससे फसलों से कीट-रोग और पशुओं की समस्या तो दूर होती ही है, साथ ही फसल को मिट्टी को कई बेमिसाल फायदे भी मिलते हैं. किसान चाहें तो इन सभी कामों के लिये करीब 1 महीने तक लगातार इसका छिड़काव फसलों पर किया जा सकता है. प्रति खेत में हर्बोलिव+ के छिड़काव के लिये करीब 14 लीटर मात्रा काफी रहती है. शुरूआत में फसल प्रबंधन के लिये हर सप्ताह में एक छिड़काव किया जाता है. इसके बाद फसल और जोखिम के अनुसार हर 15 दिन में हर्बोलिव+ स्प्रे कर सकते हैं. वैसे तो एक फसल के लिये हर्बोलिव+ दवा के 4 से 5 छिड़काव में ही काम हो जाता है.  


उत्तर प्रदेश के किसानों को मिला फायदा
तमिलनाडु के स्टार्ट MIVIPRO द्वारा विकसित और तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर (TNAU)से परीक्षण और प्रमाणित हर्बोलिव+ बायो स्प्रे का छिड़काव आज उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में किया जा रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में जंगली जानवर, छुट्टा और आवारा पशुओं की समस्या काफी ज्यादा है. कई इलाकों में नीलगाय, शाही, जंगली सूअर, मोर जैसे जानवर और पक्षी खेतों में घुंसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे उत्पादन पर भी 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक बुरा असर पड़ता है.


किसानों के बीच इस शानदान दवा के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिये दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF) काम कर रहा है. इस संस्था के साथ जुड़कर कई युवाओं ने किसानों को इसके छिड़काव और इस्तेमाल करने के लिये प्रेरित किया है. खासकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हर्बोलिव+ बायो स्प्रे (Herboliv+ Bio Spray ) से काफी शानदान परिणाम देखने को मिल रहे हैं. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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