Fruit Cultivation in Hydroponics: दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है, जिनकी खाद्य आपूर्ति सिर्फ मिट्टी में खेती (Farming in Soil) करके पूरी नहीं की जा सकती. इस काम में हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक (Hydroponic Farming)किसानों की मदद कर सकती है. जानकारी के लिये बता दें कि हाइड्रोपॉनिक्स खेती संरक्षित ढांचे (Pretected farming) में की जाती है, जिसके लिये मिट्टी की जरूरत नहीं होती. इस तकनीक में फल और सब्जियों को पानी और पोषक तत्वों के जरिये उगाया जाता है. पहले हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक सिर्फ लैब्स तक ही सीमित थी, लेकिन इनमें अहम बदलाव करके इसे शहरों तक पहुंचाया जा रहा है. यहां ज्यादातर लोग इसे अपने घर और बालकनी में लगाकर फल-सब्जी का उत्पादन (Fruit Vegetable Farming in Hydroponics) ले रहे हैं. 


हाइड्रोपॉक्स में फलों की खेती
जी हां, हाइड्रोपॉनिक्स ढांचे में सब्जियों का बेहतर उत्पादन तो मिलता ही है. अब इस तकनीक की मदद से स्वादिष्ट और मीठे फल भी उगा सकते हैं. इन फलों में स्ट्रॉबेरी, जामुन, अंगूर और खरबूज शामिल है. बता दें कि ये चारों ही सीजनल फल है, जिनकी खेती के लिये अलग-अलग जलवायु की जरूरत होती है, लेकिन हाइड्रोपॉनिक्स की मदद से मौसम की सीमाओं के बिना ही इन फलों का क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं. ये ऐसे फल है, जिनकी डिमांड भी सालभर बनी रहती है. ऐसी स्थिति में हाइड्रोपॉनिक्स ढांचे में इन फलों को उगाकर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. 


हाइड्रोपॉनिक्स की खासियत
हाइड्रोपॉनिक्स खेती की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें फल और सब्जियों की खेती के लिये मिट्टी और जलवायु का कोई झंझट नहीं रहता. बिना मिट्टी के किसी भी मौसम में हाइड्रोपॉक्स ढांचा लगाकर फलों का बेहतर उत्पादन ले सकते हैं. दरअसल हाइड्रोपॉनिक्स ढांचे में मिट्टी की जगह पीवीसी पाइप्स के जरिये पानी का प्रवाह होता है और इसी पानी में पोषक तत्व डाल दिये जाते हैं, जो सीधा पौधों की जड़ों में पहुंचकर फल और सब्जियों की पैदावार बढ़ाते हैं. इस बीच हाइड्रोपॉनिक्स ढांचे का तापमान भी सीजनल फल और सब्जियों के मुताबिक नियंत्रित कर सकते हैं. 


मिट्टी की जगह पानी
विशेषज्ञों के मुताबिक फसल के पौधों को जीवित रखने के लिये पानी और पोषक तत्व अनिवार्य होते हैं. मिट्टी में खेती करने पर पोषक तत्वों की आपूर्ति मिट्टी और खाद से होती है, लेकिन हाइड्रोपॉनिक्स में मिट्टी की जरूरत ही नहीं पड़ती. यहां मिट्टी की जगह बजरी, कंकड और कोकोपीट का प्रयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी जैसा वातावरण बना सके.


90% पानी की बचत
हाइड्रोपॉनिक्स खेती में पानी का ही सबसे अहम रोल होता है, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि मिट्टी में खेती के मुकाबले हाइड्रोपॉनिक्स खेती में पानी की काफी बचत हो जाती है, क्योंकि इस तकनीक में पानी को रिसाइकल करके इस्तेमाल किया जाता है. जहां पानी से पौधों की बढ़वार तेज होती है. वहीं मिट्टी के बिना ही कम समय में 2 से 8 गुना तक अधिक क्वालिटी वाला उत्पादन भी ले सकते हैं.


कीट-रोग का खतरा नहीं
जाहिर है कि हाइड्रोपॉनिक्स ढांचा (Hydroponics Setup) चारों तरफ से कवर होता है, जिसमें बाहरी कीट-पतंगों का प्रवेश नहीं हो पाता. वहीं इस तकनीक में इस्तेमाल होने वाला पानी भी रिसाइकल (Water Recycle in Hydroponics) किया जाता है, जिसके कारण बीमारियों की संभावना भी खत्म हो जाती है. विशेषज्ञों की मानें तो फसलों में सबसे ज्यादा कीट-रोग मिट्टी की कमियों के कारण फैलते हैं और हाइड्रोपॉनिक्स में मिट्टी का इस्तेमाल और बाहरी हवा का प्रवेश भी नहीं हो पाता, जिसके चलते कीटनाशक (No Pesticides in Hydroponics) और रोगनाशी दवाओं का खर्च भी बच जाता है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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