काजू को ‘सफेद सोना’ कहा जाता है क्योंकि यह एक बार निवेश के बाद कई सालों तक लगातार कमाई देता है इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है और कीमत भी काफी अच्छी मिलती है भारत दुनिया के सबसे बड़े काजू उत्पादकों में से एक है जहां गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है अब धीरे-धीरे देश के कई हिस्सों में किसान काजू की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. मिट्टी और जलवायु
काजू की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है यह समुद्र तल से लेकर सात सौ मीटर ऊंचाई तक के इलाकों में अच्छी होती है इसके लिए रेतीली या दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है जिसमें पानी का निकास अच्छा हो बहुत ठंडी जगहों या जहां पानी भरता हो, वहां काजू की खेती सफल नहीं होती है.
अच्छी किस्में और रोपण का तरीका
काजू की उपज बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों का चयन जरूरी है भारत में VRI-3, VRI-4, H-130, H-1601, और गोवा-1 जैसी किस्में काफी लोकप्रिय हैं पौधे मानसून की शुरुआत यानी जून-जुलाई में लगाए जाते हैं इसके लिए 60x60x60 सेंटीमीटर के गड्ढे खोदे जाते हैं और प्रत्येक एकड़ में लगभग 100 से 120 पौधे लगाए जाते हैं पौधों के बीच लगभग 7 से 8 मीटर की दूरी रखनी चाहिए ताकि पेड़ों को बढ़ने की पर्याप्त जगह मिल सके. कैसे करें देखभाल
काजू की खेती में शुरुआती 2-3 साल तक नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है ताकि पौधे अच्छी तरह बढ़ सकें जैसे-जैसे पेड़ बड़े होते हैं, उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती लेकिन फूल आने और फल लगने के समय सिंचाई करने से उत्पादन बेहतर होता है खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर खेत की सफाई जरूरी है. कटाई और उत्पादन
काजू के पेड़ तीन से चार साल में फल देना शुरू कर देते हैं मार्च से मई के बीच काजू का फल पकता है जब फल पूरी तरह विकसित हो जाएं तो उन्हें गिरने के बाद जमीन से इकट्ठा किया जाता है इसके बाद फल से बीज अलग किया जाता है और धूप में सुखाया जाता है. घर में कैसे करें काजू की खेती
अगर आपके पास थोड़ा खाली स्थान है और आप घर के आस-पास या फार्म हाउस में काजू लगाना चाहते हैं, तो यह भी संभव है बस यह ध्यान रखें कि जगह धूपदार हो, मिट्टी का जलनिकास अच्छा हो और शुरुआती वर्षों में पौधों को पर्याप्त पानी मिले उचित देखभाल के साथ तीन से चार साल में फल मिलना शुरू हो जाता है.
खर्चा और कमाई
काजू की खेती में शुरूआती निवेश थोड़ा ज्यादा होता है जैसे पौधे, खाद, सिंचाई और श्रम पर खर्च लेकिन एक बार बाग तैयार हो जाने के बाद हर साल कम लागत में लाखों तक की कमाई संभव है एक एकड़ में औसतन सात से दस क्विंटल काजू तक उत्पादन होता है बाजार में काजू की कीमत 800 से 1000 रुपये प्रति किलो तक रहती है यानी एक एकड़ से सालाना 5 से 7 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है... यह भी पढ़ें - ठंड आते ही ओस और पाले में खराब होने लगते हैं पौधे, ये स्मार्ट हैक्स आएंगे काम