किसानों का आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. इससे पहले भी किसानों ने कड़ा विरोध जाहिर किया था. वर्ष 2020-21 में चला प्रदर्शन काफी समय तक चला था. उस आंदोलन की चर्चा पूरी दुनिया भर में हुई थी. लेकिन अब उसी तरह का आंदोलन एक बार फिर से शुरू होता नजर आ रहा है. इस आंदोलन को किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है, आइए जानते हैं ये आंदोलन पिछले किसान आंदोलन से कितना अलग है....  


दिल्ली में भारी पुलिस बल तैनात है. हरियाणा, पंजाब और यूपी से लगने वाले बॉर्डरों पर बैरिकेट्स के साथ पुलिस तैनात है. साथ ही ड्रोन की मदद से भी नजर रखी जा रही है. वहीं, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि किसान संगठन समझें कि जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लिया जा सकता है. केंद्र किसान यूनियनों के साथ बातचीत जारी रखेगा. समाधान तलाशने के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं.


इस बार क्या हैं मांगें



  • किसान फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी वाला कानून.  

  • 2013 की जमीन अधिनियम के अनुसार, अगर जमीन बेची जाती है, तो कलेक्टर की वर्तमान दर से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाएगा.  

  • भारत विश्व व्यापार संघ से बाहर निकल जाए और मुक्त व्यापार सौदे रोक दिए जाएं.

  • दिल्ली के पहले आंदोलन के दौरान मर चुके किसानों को मुआवजा दिया जाए और उनके परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी दी जाए.

  • विद्युत संशोधन बिल 2020 को समाप्त करना चाहिए.

  • किसानों और फॉर्म लेबर को सरकारी पेंशन दें.

  • नकली बीज, पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर के लिए दंड.

  • नरेगा के तहत एक वर्ष में 100 दिनों की अपॉइंटमेंट गारंटी को 200 दिन किया जाए. एक दिन की मजदूरी 700 रुपये हो. इसके साथ ही किसानों को इससे जोड़ा जाए.

  • बीज की गुणवत्ता में सुधार की जाए.

  • मिर्च और हल्दी के लिए एक राष्ट्रीय कमीशन बनाया जाए.

  • किसानों को पानी, वन और जमीन का अधिकार मिलता रहे.

  • अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने वाले आरोपियों को सजा.  


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