Cow Vaccination: पिछले साल लंपी त्वचा रोग ने गोवंशों पर बुरा तरह कहर बरपाया. फिलहाल परिस्थितियां तो काबू में है, लेकिन इसका खतरा पूरी तरह से टला नहीं है. कई इलाकों में अभी भी पशु लंपी की चपेट में आ रहे हैं. इस समस्या के खिलाफ राज्य सरकारें भी अलग-अलग तरह से काम कर रही हैं. बिहार सरकार ने लंपी के खतरे को कम करने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाया है. 7 निश्चय के अधीन पशु स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के तहत 9 जनवरी से मार्च तक राज्य में लंपी के खिलाफ गांव में ही घर-घर जाकर ही पशुओं को निशुल्क गॉट पॉक्स के टीके लगाए जाएंगे. यहां पूरी तरह से जन प्रतिनिधियों, जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदसस्य की देखरेख में किया जाएगा.


इन जिलों में होगा टीकाकरण
बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन निदेशालय की ओर से जारी ट्वीट के मुताबिक, पशु स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के तहत बिहार के तमाम जिलों में लंपी के खिलाफ निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. कई जिलों में इस अभियान का आगाज 9 जनवरी से ही हो गया था. अब सीतामढ़ी में 15 फरवरी, भागलपुर और दरभंगा में 1 मार्च, शिवहर और सारण में 3 मार्च से पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा, जो मार्च के अंत तक चलेगा.


निशुल्क है अभियान
बिहार सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, 7 निश्चय के अधीन पशु स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के तहत पशुओं को गॉ पॉक्स के टीके फ्री में लगाए जा रहे हैं. यदि किसी कारण से पशु को टीका ना लगे या फिर टीकाकरण के दौरान राशि की मांग की जाए तो पशुपालन निदेशालय, बिहार के हेल्पलाइन नंबर- 0612-223-942 पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.






क्या हैं हालात
देश में लंपी त्वचा रोग की वजह से 57 हजार से अधिक मवेशी अपनी जान गवां चुके हैं. सबसे ज्यादा 37,000 मौत राजस्थान में हुई हैं, जबकि गुजरात, पंजाब, हरयाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में भी बड़ी संख्या में गोवंशों की जानहानि हुई है.


इस संक्रमण को रोकने के लिए आपातकाल में गॉट पॉक्स के टीके लगाए जा रहे हैं, जो काफी प्रभावी साबित हो रहे हैं. बता दें कि लंपी त्वचा रोग कैप्रिपाक्स नाम के वायरस से बढ़ता है और मक्खी, मच्छर और टिक्स (परजीवी)के  काटने से गाय-भैसों में फैलता है.


शुरुआत में पशुओं के शरीर पर फोड़े-फुंसियां पड़ जाते हैं, जिनमें गहरे जख्म हो जाते हैं. इन जख्म में असहनीय दर्द-पीड़ा होती है, जिससे पशु कराहने लगते और तेज बुखार में तड़पते हुए अपनी जान छोड़ देते हैं. इस रोग से पशुपालकों को कापी नुकसान झेलना पड़ गया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- यहां पशुपालकों को मिल रही है बकरी की खरीद-बिक्री से जुड़ी हर जानकारी, नस्ल सुधार में भी मददगार ये प्रशिक्षण केंद्र