Soaked Stubble Management: खरीफ फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने (Stubble Burning) के मामले बढ़ जाते हैं. इस बार भी हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं. इन्हें रोकने के लिए राज्य सरकारें अब पराली प्रबंधन (Stubble Management) के लिए सब्सिडी, पराली बिक्री की सुविधा और जागरुकता कार्यक्रम भी चला रही है, जिसके बाद इन मामलों कमी आई है. अभी किसानों ने जागरूक होकर पराली प्रबंधन शुरू ही किया था कि बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर किया.


खेतों में कई किसानों की फसलें को भीगीं ही, साथ ही बेचने के लिए जिस पराली के बंडल बनाए थे, वो भी अब बारिश पड़ने से गीले हो चुके हैं. कई राज्यों में तो अब भी कुछ समय तक बारिश के आसार बने हुए हैं. इस बारिश से पराली जलाने के मामले तो कम हो गए, लेकिन इस भीगी हुई पराली (Soaked Stubble management) को निपटाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. किसान चाहें तो कुछ आसान उपाय अपनाकर इसी आपदा को अवसर में बदल सकते हैं. इससे पराली का निपटारा भी हो जाएगा और इससे अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं.


पराली से खाद


जाहिर है कि धान की पराली एक जैविक कचरा है, जो पर्यावरण के लिए वरदान भी साबित हो सकता है. किसान चाहें तो इसी भीगी हुई पराली से खाद (Organic Fertilizer) भी बना सकते हैं. इसके लिए बारिश रुकने या मौसम साफ होने के बाद पराली पर पूसा डीकंपोजर या किसी भी दूसरे डीकंपोजर का छिड़काव किया जा सकता है. ये डीकंपोजर दवाएं पराली को गलाकर खाद बना देती हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती ही है, साथ ही मिट्टी में केंचुए जैसे जीवांश भी बढ़ते हैं. इस तरह खाद-उर्वरक पर होने वाला बड़ा खर्च भी बचा सकते हैं. 


मशरूम कंपोस्ट बनाएं


मशरूम की खेती के लिए धान और गेहूं की पराली का खूब इस्तेमाल किया जाता है. सबसे अच्छी बात ये है कि मशरूम की बुवाई से पहले कई किसान पराली या फसल अवशेषों को धोकर सुखाते हैं. इसमें मशरूम कल्चर काफी अच्छे से बढ़ता है और मशरूम की अच्छी पैदावार भी मिलती है. ऐसे में जब पहले से ही पराली बारिश में भीग चुकी है तो उसे किसी छत या शेड के नीचे सुखाकर उसका प्रबंधन कर सकते हैं. इससे कम खर्च में पैसा बनाने के लिए रबी सीजन में मशरूम की यूनिट (Mushroom Compost) भी लगा सकते हैं.


पराली को सुखाकर मल्च बनाएं


धान की पराली काफी सख्त होती है. बेशक कई राज्यों में लगातार बारिश हो रही है. इसके बावजूद पराली को सूखने में काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में किसान इसे किसी शेड या छत के नीचे सुखाकर इसकी ऑर्गेनिक मल्च भी तैयार कर सकते हैं. बता दें कि सब्जी और फलों की बागवानी के लिए कृषि विशेषज्ञ भी ऑर्गेनिक मल्च (Organic Mulching) लगाने की सलाह देते हैं. इससे खरपतवारों का प्रकोप भी कम रहता है और सब्जियां प्लास्टिक के बजाय इकोफ्रैंडली तरीकों से उगती है. 


वर्मीकंपोस्ट बनाएं


पराली जैसे जैविक कचरे से सबसे अच्छी कंपोस्ट तैयार की जा सकती है. किसान चाहें तो वर्मी कंपोस्ट यूनिट (Vermi Compost Unit) लगाकर गोबर और केंचुओं के साथ-साथ पराली का भी कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे वर्मीकंपोस्ट के साथ-साथ वर्मीवॉश का प्रॉडक्शन लेने में भी खास मदद मिलेगी. इन दोनों ही चीजों की बाजार में काफी डिमांड रहती है. 


नीम ऑइल का छिड़काव करें


जाहिर है कि पराली और फसल के भीगने के बाद कीट-रोगों का प्रकोप मंडराने लगता है, लेकिन अगर फसल बर्बाद हो गई है तो तुरंत उसे खेतों से हटाना या निपटाना पड़ता है. ऐसा ना करने पर बीमारियां और कीट-पतंगें, जगरीले मच्छर तक मंडराने लगते हैं, जो पशुओं के साथ-साथ किसान और मिट्टी की सेहत को भी बिगाड़ सकते हैं, इसलिये भीगी हुई पराली (Wet Stubble) या खड़ी फसल में नीम के तेल (Neem Oil) से बने  कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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