Crop Compensation In Madhya Pradesh: प्रदेश सरकारों की जिम्मेदारी होती है कि किसानों को सही बीज और अन्य उपकरण उपलब्ध कराएं जाएं. शर्ताें के अनुरूप कोई सामान किसी किसान को नहीं मिलता है तो उसके कानूनी हक के लिए कानूनी दरवाजे खुले हैं. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है. खराब क्वालिटी के बीज किसान को दिए. किसानों ने इसे हक मानते हुए कानूनी लड़ाई लड़ी. पिता की मौत हुई तो बेटे ने जिम्मेदारी संभाल ली. बेटे के संघर्ष के आगे सरकारी डिपार्टमेंट हारा. आयोग ने प्रत्येक किसान को 1.05 लाख रुपये भुगतान करने के आदेश दिए हैं. 

शिकायत की तो नहीं हुआ समाधान

मध्यप्रदेश के खरगोन से जुड़ा मामला है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम ने जून 2014 में सोयाबीन का खराब क्वालिटी का बीज वितरण कर दिया. क्वालिटी के कारण बीजों की पैदावार बेहद कम हुई. किसानों ने इसकी शिकायत किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उप निदेशक से की. लेकिन अधिकारियों के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. किसानों ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की. आयोग ने किसानों की शिकायत को सही माना. लेकिन निगम, आयोग के आदेश से सहमत नहीं हुआ और राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर कर दी. फोरम ने लंबी सुनवाई के बाद किसानों की शिकायत को सही माना. 

हर किसान को मिलेंगे 1.05 लाख रुपये

आयोग ने आदेश दिया है कि गुणवत्ता विहीन बीज करने की भरपाई मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम को करनी होगी. अब नुकसान की भरपाई करनी होगी. यह फैसला राज्य उपभोक्ता आयोग ने सुनाया है. निगम प्रत्येक किसान को 1.05 लाख रुपये का मुआवजा देगा. 10 किसान इससे लाभान्वित होंगे. 

पिता की हुई मौत तो बेटे ने मांगा कानूनी हक

खरगोन के किसान हितेंद्र रघुवंशी के पिता मनोहर ने निगम से 34 हजार 170 रुपये की राशि से जेएस-9560 किस्म के 5.10 क्विंटल सोयाबीन के बीज खरीदे थे. खेत में बीजों की बुवाई की तो सही ढंग से पैदावार ही नहीं हुई. इसके पीछे वजह बीजों की क्वालिटी खराब होना सामने आया. इसकी शिकायत स्थानीय अधिकारियों से की तो उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. बाद में पिता मनोहर की मौत हो गई तो बेटे हितेंद्र ने कानूनी लड़ाई का सिलसिला जारी रखा. खरगोन जिले के करीब 10 किसानों को लेकर उपभोक्त आयोग ने फैसला सुनाया है. 

बीज निगम का ये था तर्क

बीज निगम ने भी अपने पक्ष में दलील रखी. दलील में कहा गाय कि मप्र बीज प्रमाणन एजेंसी से प्रमाणित कराकर बीजों की बिक्री होती है. जिस दिन बीज बोया गया. उस दिन अधिक बारिश हुई. मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार बारिश 22.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई. इस वजह से बीजोंका अंकुरण प्रभावित हुआ. बीजों का अंकुरण अधिक गहराई में बोया गया. बीजों का अंकुरण मौसम, एनवायरमेंट और कृषि भूमि की गुणवत्ता सहित विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है. आयोग ने बीज निगम की सभी दलीलें खारिज कर दीं और एक महीने में किसान को 99,520 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. इसके अलावा सेवा में कमी के लिए छह हजार रुपये भी देने होंगे. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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