भारत में कई तरह की फसलों की खेती होती है, लेकिन कम ही किसान ऐसे हैं जो इस तरह की फसल की खेती करते हैं जिसमें औषधीय गुण होते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही फसल के बारे में बताएंगे. इसकी खेती से ना सिर्फ आपको आर्थिक रूप से मुनाफा होगा, बल्कि इसे खाने से आपका शरीर भी लोहे का बन जाएगा. दरअसल, हम बात कर रहे हैं काले किशमिश की खेती की. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे होती है काले किशमिश की खेती और इससे किसानों को कितना मुनाफा होता है.


कैसे होती है काले किशमिश की खेती


दरअसल, काले अंगूरों से ही काली किशमिश बनती है. इसलिए सही सवाल तो ये है कि काले अंगूर की खेती कैसे होती है. तो आपको बता दें, काले अंगूर की भारत में खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, मिजोरम, पंजाब, हरियणा, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में होती है. वहीं इनकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त कंकरीली, रेतीली और चिकनी मिट्टी होती है.


एक बार लगाएं और वर्षों मुनाफा कमाएं


काले अंगूर के बाग अगर आपने एक बार लगा दिए तो ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ आपक एक या दो साल ही फल देंगे. अगर इनका ठीक से ख्याल रखा जाए तो एक बार लगाए गए बाग कम से कम दस साल तक अंगूर की फसल देते हैं. यानी इसकी खेती में लागत कम मुनाफा ज्यादा है.


शरीर के लिए कितना फायदेमंद है?


काले अंगूर में अमीनो एसिड, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, कैल्शियम और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं. ये आपके शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है. इससे हमारे शरीर की इम्युनिटी बूस्ट होती है और यह हमारे शरीर से खून की कमी को भी पूरा करता है.


कैसे बनता है अंगूर से किशमिश


जब आधुनिक मशीनें नहीं थीं तब अंगूर से किशमिश बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी हुआ करती थी. लेकिन अब आधुनिक मशीनों और ड्रायरों के चलते ये प्रोसेस बेहद कम समय में पूरा कर लिया जाता है. दरअसल, जब काले अंगूर पक जाते हैं तो उन्हें तोड़ लिया जाता है फिर मशीनों में डालकर पहले उन्हें साफ किया जाता है और फिर उन्हें सुखा लिया जाता है. ऐसा करने के बाद अंगूरों में मौजूद पानी सूख जाता है और वो किशमिश में बदल जाते हैं.


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