Rural Employment: जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर खेती पर पड़ रहा है. इससे पारंपरिक फसलों का उत्पादन काफी कम हो गया है. यही कारण है कि अब किसानों को फल-सब्जियों जैसी बागवानी फसलों की खेती करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बागवानी फसलों से कम समय, कम मेहनत और कम खर्च में ही अच्छी आमदनी ले सकते हैं. इसी उद्देश्य के साथ केंद्र और राज्य सरकार की बागवानी फसलों की खेती के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देती है.


इसी कड़ी में अब झारखंड की सरकार भी आगे आई है. किसानों की आय को दोगुना करने और गरीब परिवारों की सहायता के लिए झारखंड में 'बिरसा हरित ग्राम योजना' (Birsa Gram Harit Yojana) चलाई जा रही है. अभी तक इस योजना के तहत 78000 एकड़ जमीन पर 76 लाख फलदार पौधे लगाये जा चुके हैं.


मिश्रित बागवानी (Mixed Farming) को बढ़ावा देने वाली इस योजना से राज्य के सैकड़ों किसान को फायदा हुआ है. झारखंड सरकार की ये स्कीम अब सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि गांव के गरीब परिवार और छोटे किसानों-मजदूरों के लिए भी आजीविका का स्रोत बन चुकी है.


बिरसा हरित ग्राम योजना 
झारखंड सरकार ने ग्रामीण इलाकों से पलायन को रोकने, रोजगार के अवसर पैदा करने और कुपोषण की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई है. इस योजना के तहत गांव में प्रति यूनिट के हिसाब से 100 फलदार पौधों की रोपाई की जाती है. इनमें 24 आम के पौधे, 24 अमरुद के पौधे, 22 इमारती के पौधे, 25 नींबू के पौधे और 5 सहजन के पौधे लगाए जाते हैं.


इसके अलावा कुछ इलाकों में रोजगार के लिए तसर, अशोक, आसन, लाह सेमालिया के पौधों की भी रोपाई की जाती है. गांव में लोग आम और अमरूद जैसे फलदार पौधों की मिश्रित बागवानी करके सेवन कर पाएंगे. इससे कुपोषण की समस्या तो हल होगी ही, साथ ही फलों की बिक्री करके आजीविका भी कमा सकेंगे.


इन किसानों को मिलेगा फायदा 
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में विकास-विस्तार के लिए चलाई जा रही बिरसा हरित ग्राम योजना का लाभ छोटे किसानों, मजदूरों और गरीब परिवारों को मिलेगा. वहीं अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से खेती-किसानी पर निर्भर लोग भी इस योजना का लाभ ले पायेंगे. अगर उम्मीदवार के पास मनरेगा का जॉब कार्ड है तो उन्हें प्राथमिकता से बिरसा हरित ग्राम योजना का लाभ मिलेगा.


इसके अलावा एससी-एसटी, आदिम जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे वाले गरीब परिवार, महिला मुखिया वाले गरीब परिवार, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी, वन पट्टा धारक, छोटे और सीमांत किसान और छोटी जमीन पर खेती करने वाले किसान भी बिरसा हरित ग्राम योजना के लाभार्थी बन सकते हैं.


फलों की मिश्रित बागवानी से हरियाली 
झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों का संवर्धन और ऊपरी जमीन के प्रबंधन के लिए चलाई जा रही बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में क्लस्टर बनाकर काम किया जाता है. इसके लिये बंजर, गैर उपजाऊ और बेकार पड़ी खाली जमीनों का इस्तेमाल किया जाता है. इन जमीनों को तैयार करके आम, नींबू, अमरूद, इमारती और सहजन आदि के पौधे लगाए जाते हैं. इन पौधों की देखभाल का जिम्मा लाभार्थी और बाकी ग्रामीणों को मिलता है.


इससे पर्यावरण को फायदा तो होगा ही, भूजल स्तर भी बेहतर बनेगा और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी. इस तरह फलों की मिश्रित बागवानी करके ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. किसानों के लिये आय के स्रोत नये विकसित होंगे. गांव के गरीब, अशिक्षित, एससी-एसटी, ओबीसी और पिछड़े परिवारों को रोजगार कमाने का मौका मिलेगा.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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