Mushroom Cultivation: पिछले कुछ सालों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की ओर तेजी से बढ़ा है. इन दिनों से खेती किसानों की आय बढ़ाने का काम कर रही है. अब किसान बड़ी-बड़ी जमीन पर गेहूं-धान उगाते हैं, साथ ही एक 6*6 की झोंपडी डालकर खेत से निकले गेहूं और धान के अवशेष में मशरूम की खेती करते हैं. ये एक जीरो इनवेस्टमेंट बिजनेस की तरह ही है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें इसकी खेती के लिए अनुदान भी दे रही हैं.


बिहार सरकार भी मशरूम की खेती के लिए किसानों को आर्थिक मदद दे रही है. यही  वजह है कि आज बिहार मशरूम उत्पादन में नंबर-10 से ऊपर उठकर नंबर-1 पर काबिज हुआ है.आज बिहार के लगभग हर गांव मशरूम की खेती हो रही है. इस राज्य में मशरूम की खपत को ज्यादा है ही, यहां का मशरूम देश-विदेश को निर्यात भी हो रहा है.


इन देशों को पीछे छोड़ बना नं-1
बिहार ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में फर्श से अर्श तक का सफर करीब 30 साल के अदंर तय किया है. एक समय पर बिहार मशरूम की खेती और इसके प्रोडक्शन के मामले में 10 पर था. किसानों को मशरूम उगाने के लिए लगातार प्रेरित किया जाने लगा.


फिर किसान एक दूसरे से प्रेरणा लेकर मशरूम उगाने लगे. धीरे-धीरे मशरूम की खूबियों के बारे में जागरुकता बढ़ने लगी और मशरूम का व्यापार चल पड़ा. कभी उड़ीसा को सबसे बड़ा मशरूम उत्पादक राज्य बताते थे. उस समय बिहार तीसरे नंबर पर काबिज हुआ.


आज से तीन साल पहले बिहार मशरूम उत्पादन के लिए 13वें नंबर पर था, लेकिन बिहार कृषि विभाग ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर बताया कि साल 2021-22 में बिहार के किसानों ने 28,000 टन मशरूम का उत्पादन लेकर पहले पायदन पर कदम रखा था. इस साल भारत में हो रहे मशरूम उत्पादन का 10.82% हिस्सा बिहार से ही मिला.






इन राज्यों ने कायम की मिसाल
जैसे-जैसे लोग मशरूम की खूबियां समझ रहे हैं, वैसे-वैसे इसकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है.दरअसल ये एक फंगी है, जो वेज और नॉन-वेज दोनों तरीके से पसंद किया जा रहा है. एक तरह से देखा जाए तो अब ये आलू की तरह ही लोगों की डाइट का हिस्सा हन गया है.


इस साधारण सी सब्जी ये मुकाम दिलाने में किसानों औप बागवानी विभाग का भी अहम रोल है. हाल ही जारी राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि  मशरूम उत्पादन में बिहार पहले नंबर पर,9.89 फीसदी उत्पादन के  साथ  महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर और  9.6 फीसदी मशरूम उगाकर उड़ीसा तीसरे नंबर का बड़ा उत्पदान राज्य बना है. इन राज्यों की देखादेख अब झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी मशरूम की डिमांड, खपत और खेती बढ़ती जा रही है.


कोरोना काल में 180 रुपये किलो बिका
मशरूम उत्पादन बढ़ाने में किसानों का तो अहम रोल था ही, बाजार में मांग बढ़ने और कीमतें गिरने से भी इस तक लोगों की पहुंच आसान हो गई. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान मशरूम 180 रुपये किलो के भाव बिक रहा था.


इस समय लोग हेल्दी फूड का सेवन कर रहे हैं, जिनमें मशरूम का नाम भी टॉप पर था, लेकिन अब मशरूम की डिमांड-सप्लाई बढ़ने से इसका दाम 100 रुपये रह गया है, लेकिन खूबियां वहीं हैं, जो सालों तक लोगों को हेल्दी रहने में मदद करती हैं.


बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मशरूम का इस्तेमाल कई दवाएं बनाने में भी किया जाता है. ये त्वचा और बालों के लिए वरदान से कम नहीं है, बल्कि सेहत के लिए तो ये मशरूम वरदान है.इसमें कैलोरी ना के बराबर और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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