Micro Irrigation Scheme: आज लगभग पूरी दुनिया ही पानी की कमी की समस्या से जूझ रही है. चाहे वो पीने का साफ पानी हो या फिर खेती के लिए सिंचाई का पानी. लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण देश के भी कई पानी की किल्लत देखी जा रही है. कृषि के क्षेत्र में पानी के सही इस्तेमाल के लिए सरकार अब बूंद-बूंद सिंचाई को बढ़ावा दे रही है. केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भी चलाई है, जिसके तहत टपक और फव्वारा सिंचाई प्रणाली को अपनाने के लिए अनुदान दिया जाता है. बिहार सरकार ने भी मिलती-जुलती सूक्ष्म सिंचाई योजना चलाई है, जिसके सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए बिहार के किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है.
क्या है सूक्ष्म सिंचाई योजनाबिहार कृषि विभाग ने 'Per Drop More Crop' अभियान के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजना चलाई है, जिसके तहत खेत में ड्रिप, स्प्रिंकलर और रेन गन सिस्टम लगवाने के लिए किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है यानी किसान को सिर्फ 10 प्रतिशत भुगतान करना होगा. इस स्कीम के तहत ड्रिप, स्प्रिंकलर और रेन गन के यंत्र और पूरा सिस्टम लगाने का प्लान है, जिससे किसानों को 90 फीसदी पैसा और खेती में 60 प्रतिशत पानी की बचत होगी.
कहां करें आवेदनयदि आप भी बिहार के किसान है और अपने खेत मे सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली लगवाना चाहते हैं तो बिहार बागवानी निदेशालय के ऑफिशियल पोर्टल https://horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं. बिहार कृषि विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करके बताया है कि pmksy.gov.in लिंक पर क्लिक करके भी डायरेक्ट आवेदन कर सकते हैं.अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर- 18001801551 पर भी कॉल कर सकते हैं.
आज की मांग है सूक्ष्म सिंचाईआज देश का एक बड़ा रकबा असिंचित है. पर्याप्त पानी नहीं है, खेत सूखकर बंजर होते जा रहे हैं. कई इलाकों में जल स्रोत तो है, लेकिन सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है, जिससे समय पर फसल की सिंचाई नहीं हो पाती.
इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई है, जिसके तहत माइक्रो इरिगेशन यानी सूक्ष्म सिंचाई को प्रमोट किया जा रहा है. आपको बता दें कि सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है, जिसके तहत प्लास्टिक की पाइप के माध्यम से सीधा फसल की जड़ों तक पानी पहुंचाया जाता है.
कई रिसर्च में पता चला है कि पारंपरिक सिंचाई की तुलना में सूक्ष्म सिंचाई करके 60 फीसदी पानी बचा सकते हैं. इससे फसल की उत्पादकता भी 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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