#MeToo की तर्ज पर 'स्लट वॉक' का हिस्सा बनीं 5000 इजरायली महिलाएं, पूर्व राष्ट्रपति को भी नहीं बख्शा
'स्लट वॉक' से जुड़े करीब 5000 प्रदर्शनकारियों ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव की सड़कों पर कब्ज़ा जमा लिया. गौर करने लायक बात ये रही कि प्रदर्शनकारियों में पुरुषों की संख्या बेहद कम थी. ये प्रदर्शन सेक्सुअल हरासमेंट और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध का ठीकरा उनके कपड़ों पर फोड़ने के खिलाफ किया गया. इस प्रदर्शन के केंद्र में उस न्याय व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज़ें उठाई गईं जो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में नरमी बरतती है.
इजरायल में हुए 'स्लट वॉक' के इस प्रदर्शन से जुड़े लोगों का कहना था कि महिलओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में ऐसा सिस्टम काम करता है जो पीड़िता को ही दोषी ठहराता है. उनकी सबसे बड़ी मांग ये थी इसे सिरे से बदला जाना चाहिए.
2017 तक ये मुहिम कमज़ोर पड़ गई थी लेकिन इसी साल हुए #MeToo कैंपेन ने इसमें नई जान फूंक दी. #MeToo कैंपेन ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के उस पहलू पर भी रोशनी डाली जिससे पता चला कि ताकतवर लोग जब महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध करते हैं तो कितनी आसानी से बच निकलते हैं. आपको बता दें कि #MeToo ने कई दिग्गज मर्दों को घुटनों के बल बिठा दिया. हॉलीवुड के दिग्गज प्रोड्यूसर हार्वी वाइंस्टीन से लेकर दिग्गज कॉमेडियन बिल कॉस्बी तक को #MeToo कैंपेन ने अर्श से फर्श पर ला दिया.
आपको बता दें कि 'स्लट वॉक' की शुरुआत साल 2011 में कनाडा में हुई थी. दरअसल टोरंटो के एक पुलिस वाले ने महिलाओं को 'स्लट' (वेश्याओं) की तरह कपड़े नहीं पहनने को कहा था. इसके पीछ ये हवाला दिया गया था कि इसकी वजह से महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और यौन अपराध होते हैं. नारीवादियों ने इसे पीड़िता को दोषी ठहराने से जोड़कर देखा और तय किया कि वो ऐसा प्रदर्शन करेंगी जिससे 'स्लट' यानी 'वेश्या' शब्द के मायने बिल्कुल ही बदल जाएं. इसके बाद तो 'स्लट वॉक' एक मुहिम में बदल गया और पूरी दुनिया में फैल गया. आपको बता दें कि भारत में भी इससे जुड़े कई प्रदर्शन हुए हैं.
आपको बता दें कि 'स्लट वॉक' का आयोजन कूलन ग्रुप ने किया था. इजरायल की मीडिया के मुताबिक प्रदर्शन में करीब 5000 महिलाओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान उन सेलिब्रिटी मर्दों के पोस्टरों के साथ प्रदर्शन किया गया जिनका नाम महिलाओं के खिलाफ हुए यौन अपराधों में आया है. इनमें देश के पू्र्व राष्ट्रपति मोशे कैटशेव तक का नाम शामिल था. इस दौरान 'ना का मतलब ना', 'चुप होने का मतलब ये नहीं कि किसी को मेरे साथ कुछ भी करने का अधिकार है', 'मैं तुम्हारा खिलौना नहीं हूं', 'सभ्य महिलाएं इतिहास नहीं बनातीं' जैसे नारे उछाले गए.
इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहीं ब्राचा बराड का कहना था कि 'स्लट' (वेश्या) महज़ एक ऐसा शब्द नहीं जो समाज द्वारा महिलाओं को नीचा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि ये एक ऐसा शब्द है जिसे न्यायालय भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले रेप जैसे अपराध तक को सही ठहराने के लिए इस्तेमाल करता है. उन्होंने आगे कहा कि सेक्स और इससे जुड़ी हिंसा के बीच कोई संबंध नहीं है और सेक्स से जुड़ी हिंसा को कतई सवालों के घेरे में नहीं लाया जा सकता. वहीं इसे भी सवालों के घेरे में नहीं लाया जा सकता कि पीड़िता ने क्या पहना था या उसके पहले का जीवन कैसा रहा है.