हुसैनी ब्राहाण और शिया मुस्लिमों का संबंध काफी पुराना है



1400 साल पहले इराक की सरजमी पर एक ऐसी जंग लड़ी गई थी.



इसे ‘कर्बला की जंग’ के नाम से जाना जाता है.



यजीद के पत्थर दिल फरमानों से इमाम हुसैन के साथ उनके काफिले के कई लोगों ने ये जंग लड़ी थी



सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि ब्राह्मण हिंदू भी शामिल थे



उन्हें हुसैनी ब्राह्मण के नाम से जाना जाता है.



हुसैनी ब्राह्मण मोहयाल समुदाय के लोग हिंदू और मुसलमान दोनों में होते हैं



कई कहानियां प्रचलित है कि कैसे सात हिंदू दत्त जवानों ने इमाम हुसैन की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी थी



मौजूदा समय में हुसैनी ब्राह्मण अरब, कश्मीर, सिंध, पाकिस्तान, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों में रहते हैं.