हमें सबसे पहले ठंड त्वचा पर महसूस होती है

हमारी स्किन के ठीक नीचे Thermo-Receptors Nerves मौजूद होते हैं

ये दिमाग को ठंड लगने का संदेश भेजती हैं

लोगों में इसका स्तर और इसकी तीव्रता अलग-अलग होती है

ये तरंगें दिमाग के Hypothalamus में जाती हैं

यह शरीर के आंतरिक तापमान और पर्यावरण का संतुलन बनाता है

इस संतुलन को बनाने की प्रक्रिया में मासंपेशियां सिकुड़ने लगती हैं

शरीर के बाकी अंग अपने अपने तरीके से तापमान को सुरक्षित करते है

ज्यादा ठंड लगने को हाइपोथर्मिया कहा जाता है

यह जानलेवा भी साबित हो सकता है