आखिर क्यों एंड्रॉयड से महंगा होता है iOS? जानें कारण

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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Apple अपने iPhones में हाई-क्वालिटी मटेरियल का इस्तेमाल करता है, जैसे कि एल्युमिनियम, सिरेमिक शील्ड और सुपर रेटिना XDR डिस्प्ले, जो इसे महंगा बनाते हैं.

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Apple अपने iOS को खुद डेवलप करता है, जिससे यह ज्यादा सिक्योर, ऑप्टिमाइज़्ड और एक्सक्लूसिव होता है, जबकि एंड्रॉयड कई ब्रांड्स में उपलब्ध है.

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iPhones में Apple का खुद का चिपसेट (A-Series Bionic) होता है जो iOS के साथ परफेक्टली ऑप्टिमाइज़ रहता है, जिससे बेहतर परफॉर्मेंस मिलती है.

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Apple 5-6 साल तक iPhones को सॉफ़्टवेयर अपडेट देता है जबकि ज्यादातर एंड्रॉयड फोन्स 2-3 साल में अपडेट मिलना बंद कर देते हैं.

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iOS अपने सिक्योर एनवायरनमेंट, फेस आईडी, ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी और स्ट्रिक्ट प्राइवेसी पॉलिसी के कारण ज्यादा सुरक्षित होता है.

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Apple एक प्रीमियम ब्रांड है और इसके प्रोडक्ट्स स्टेटस सिंबल माने जाते हैं जिससे इनकी कीमत ज्यादा होती है.

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MacBook, iPad, Apple Watch और AirPods के साथ iPhone का बेहतरीन इंटीग्रेशन होता है, जिससे Apple डिवाइसेस के यूजर्स iOS को ज्यादा प्रीफर करते हैं.

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iMessage, FaceTime, Airdrop और iCloud जैसी एक्सक्लूसिव सर्विसेज iPhone यूजर्स को मिलती हैं जो एंड्रॉयड में उपलब्ध नहीं होतीं.

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Apple अपने प्रोडक्ट्स पर रिसर्च और डेवलपमेंट में बड़ी रकम खर्च करता है जिससे नई टेक्नोलॉजी और फीचर्स डेवलप होते हैं.

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