महिला को हार्मोनल दवाइयाँ दी जाती हैं ताकि वह एक से अधिक अंडाणु (eggs) बना सके.
जब अंडाणु पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं, तो उन्हें महिला की अंडाशय से निकाला जाता है.
पुरुष से स्पर्म का नमूना लिया जाता है या स्पर्म डोनर का इस्तेमाल किया जाता है.
लैब में अंडाणु और स्पर्म को मिलाया जाता है ताकि निषेचन हो सके, जिससे भ्रूण (embryo) बनता है.
कभी-कभी ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिसमें स्पर्म को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है.
निषेचित अंडाणु लैब में कुछ दिनों तक रखा जाता है ताकि यह विभाजित होकर भ्रूण का रूप ले सके.
3-5 दिन बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है.
भ्रूण स्थानांतरण के 10-15 दिनों बाद रक्त परीक्षण के माध्यम से गर्भावस्था की पुष्टि की जाती है.
शेष भ्रूणों को भविष्य में उपयोग के लिए फ्रीज कर दिया जाता है.
IVF की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे महिला की आयु, स्वास्थ्य, और तकनीकी विशेषज्ञता.