तात्या टोपे का असली नाम रामचंद्र पांडुरंग टोपे था

वह महाराष्ट्र के येवला गांव के रहने वाले थे

1857 में हुए महान विद्रोह में तात्या टोपे की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण और बेजोड़ थी

इस विद्रोह में तात्या टोपे ने कई अहम भूमिकाएं निभाईं

तात्या टोपे को महाराष्ट्र का टाइगर भी कहा जाता है

कुछ समय तक तात्या ने ईस्ट इंडिया कंपनी में काम किया था

स्वाभिमानी तात्या अंग्रेजों की नौकरी छोड़कर बाजीराव के पास वापस आ गए

एक किस्सा के मुताबिक बाजीराव ने तात्या टोपे को एक बेशकीमती टोपी दी थी

तात्या टोपे इस टोपी को बहुत ही चाव से पहनते थे, इसलिए उनका नाम तात्या टोपे पड़ गया

तात्या टोपे ने कानपुर में स्वाधीनता स्थापित करने की पहल की थी

तात्या टोपे ने पूरे एक साल तक मुट्ठी भर सैनिकों के साथ मिलकर कई विद्रोह किए

18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी मध्य प्रदेश में तात्या टोपे का निधन हो गया था