हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, यज्ञ और सभी धार्मिक कार्य में स्वास्तिक जरुर बनाया जाता है, इसका विशेष महत्व है.

स्वास्तिक मंगल कामनाओं को प्रतीक माना गया है, मान्यता है स्वास्तिक बनाने से सभी शुभ कार्य सफल होते हैं.

‘सु’ और अस्ति शब्द मिलाकर स्वास्तिक बना है. इसमें ‘सु’ का अर्थ शुभ से है और ‘अस्ति’ मतलब होना.

स्वास्तिक का अर्थ है मंगल करने वाला. घर के मुख्य दरवाजे पर भी स्वास्तिक बनाया जाता है, ताकि परिवार का कल्याम हो.

स्वास्तिक की चार रेखाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है.

ये चारों दिशाओं से शुभ-मंगल चीजों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.

स्वास्तिक का मध्य भाग विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख माने जाते हैं.

स्वास्तिक में भगवान गणेश और नारद की शक्तियां समाहित हैं. इससे सुख, संपन्नता, सिद्धि प्राप्त होती है.