अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में चारों पीठों के शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे
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अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में चारों पीठों के शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे



शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कहना है कि राम मंदिर निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में वहां रामलला को विराजमान करना शास्त्र के विरूद्ध है
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कहना है कि राम मंदिर निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में वहां रामलला को विराजमान करना शास्त्र के विरूद्ध है



आइए जानते हैं कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कौन हैं
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आइए जानते हैं कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कौन हैं



स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उत्तराखंड की ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य हैं. साल 2022 में द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें यहां का शंकराचार्य बनाया गया था
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उत्तराखंड की ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य हैं. साल 2022 में द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें यहां का शंकराचार्य बनाया गया था



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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी का मूल नाम उमाशंकर है. उनका जन्म 15 अगस्त 1969 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था



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उनकी स्वर्गवासी माता का नाम अनारा देवी और पिता का नाम स्वर्गीय पंडित राम सुमेर पांडेय है. उनके एक भाई और 6 बहनें हैं



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प्रतापगढ़ से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद शंकराचार्य 9 साल की उम्र में आगे की पढ़ाई के लिए गुजरात चले गए थे



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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के परिवार का कहना है कि काशी में संत रामचैतन्य जी से मिलने के बाद वह पूजा-पाठ और पढ़ाई में लीन हो गए



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काशी में ही स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी से मुलाकात होने के बाद साल 2000 में उन्होंने सरस्वती जी से दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गए



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शंकराचार्य जी की गंगा सेवा अभियान से लेकर वाराणसी में मंदिर बचाओ आंदोलन तक बहुत अहम भूमिका रही है