पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर



आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है और



इन 16 दिनों में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं.



पितृ भी एक प्रकार से देवता ही है जो सब जीवों के आदिपूर्वज माने गए हैं.



ये आत्माएं मृत्यु के बाद 1 से लेकर 100 वर्ष तक



मृत्यु और पुनर्जन्म की मध्य की स्थिति में रहती है.



इसीलिए श्राद्ध कर्म तीन पीढ़ियों का ही होता है.



इसमें मातृकुल और पितृकुल (नाना और दादा) दोनों शामिल होते हैं.



तीन पीढ़ियों से अधिक का श्राद्ध कर्म नहीं होता है.